मंदिर के शिल्पकार और प्रमुख डिजाइनर चंद्रकांत सोमपुरा (Chandrakant Sompura) हैं। जो अहमदाबाद के रहने वाले हैं। इन्होंने साल 1988 में मंदिर का मूल डिजाइन तैयार किया था। सोमपुरा परिवार के लोग कई पीढ़ियों से मदिरों की डिजाइन बना रहे हैं। अभी तक इस परिवार ने देश और विदेश में बने 100 से ज्यादा मंदिरों की डिजाइन तैयार की है। राम मंदिर के डिजाइन और शिल्पकला के निर्माण में चंद्रकांत सोमपुरा के अतिरिक्त उनके दो बेटों निखिल सोमपुरा (Nikhil Sompura) और आशीष सोमपुरा (Ashish Sompura) ने अपना अमूल्य योगदान दिया है। सोमपुरा परिवार के सदस्यों ने इस मंदिर की डिजाइन नागर शैली में तैयार की है। यह शैली भारतीय मंदिर वास्तुकला के प्रकारों में से एक है जो मुख्य तौर पर उत्तर भारतीय मंदिरों में प्रचलित है।
राम मंदिर के गर्भगृह में अरुण योगीराज (Arun Yogiraj) द्वारा बनाई गई मूर्ति स्थापित की जाएगी। यह मूर्ति भगवान राम (Bhagwan Shri Ram) के बालस्वरूप की होगी और 51 इंच ऊंची होगी। इसका ऐलान श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय (Champat Rai) ने किया है। अरुण योगीराज कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार हैं। उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से एमबीए किया है। उनके घर में पिछली 5 पीढ़ियों से मूर्ति को तराशने का काम होता है। उनके पिता प्रसिद्ध मूर्तिकार योगीराज हैं जिन्हें वड़ियार के राज घरानों को सुंदरता प्रदान करने के लिए जाना जाता है। इसके पहले अरुण योगीराज ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा भी बनाई थी जो अमर जवान ज्योति पर मौजूद है। केदारनाथ में आदि शंकराचार्य (Adi Shankaracharya) की प्रतिमा और रामकृष्ण परमहंस (Ramakrishna Paramhansa) की प्रतिमा का निर्माण भी अरुण योगीराज के द्वारा किया गया है।
श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया है कि राम मंदिर के लिए मूर्ति बनाने के लिए तीन मूर्तिकारों का चयन किया गया था। इनमें बेंगलुरु के जी एल भट्ट, मैसूर के अरुण योगिराज और राजस्थान के सत्यनारायण पांडेय शामिल थे। तीनों मूर्तिकार अलग-अलग जगह पर रहकर मूर्ति का निर्माण कर रहे थे। अंततः अरुण योगीराज के द्वारा बनाई गई श्याम वर्ण की राम मूर्ति का चयन किया गया है। रामलला की मूर्ति में मूर्तिकार ने बालपन की झलक, सौन्दर्य आकर्षण और रचनात्मक डिजाइन की गहरी छाप छोड़ी है। मूर्ति का चयन करने के लिए ट्रस्ट ने एक कमेटी का गठन किया था।
तीन मूर्तियों में से दूसरी मूर्ति सत्यनारायण पांडे के द्वारा बनाई गई भी थी। सत्यनारायण पांडे ने बताया था कि उन्होंने मार्बल के पत्थर से मूर्ति का निर्माण किया है। सत्यनारायण का दावा था कि उनकी मूर्ति मार्बल से बनी है इसलिए मूर्ति कभी खराब नहीं होगी। उनके अलावा मूर्तिकार जीएल भट्ट ने भी मूर्ति बनाई थी, जो चार फीट ऊंची थी। जिसका चयन नहीं हो सका।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala pran pratishtha) आगामी 22 जनवरी 2024 को दोपहर 12:20 बजे मृगशिरा नक्षत्र में होगी। इस दौरान परम धाम अयोध्या में देश विदेश से आए लाखों भक्त और साधु संत मौजूद रहेंगे। प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा विद्वान पंडितों के वैदिक मंत्रोच्चार के द्वारा सम्पन्न किया जाएगा।
राम मंदिर से जुड़े प्रश्न और उत्तर
प्रश्न - राम मंदिर का निर्माण कब शुरू हुआ था?
उत्तर - राम मंदिर का निर्माण 5 अगस्त 2020 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भूमिपूजन अनुष्ठान के साथ आरंभ किया गया था।
प्रश्न - राम मंदिर मंदिर का मूल डिजाइन किसने तैयार किया?
उत्तर - राम मंदिर मंदिर के मूल डिजाइन को चंद्रकांत सोमपुरा ने साल 1988 में तैयार किया था, जो अहमदाबाद के शिल्पकार हैं।
प्रश्न - राम मंदिर में मूर्तियों का चयन कैसे हुआ?
उत्तर - श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने तीन मूर्तिकारों का चयन किया, जिनमें से अरुण योगिराज की मूर्ति को चयन किया गया।
प्रश्न - राम मंदिर के निर्माण में कौन-कौन से लोगों ने योगदान दिया?
उत्तर - मंदिर के निर्माण में शिल्पकार चंद्रकांत सोमपुरा और उनके बेटों निखिल सोमपुरा और आशीष सोमपुरा ने अहम योगदान दिया है। मूर्तिकार अरुण योगिराज ने भगवान राम की मूर्ति तैयार की है।
प्रश्न - राम मंदिर के निर्माण में शिल्पकला का क्या महत्व है?
उत्तर - चंद्रकांत सोमपुरा और उनके बेटों ने नागर शैली में मंदिर की डिजाइन तैयार की है, जो भारतीय मंदिर वास्तुकला के प्रकारों में से एक है। शिल्पकला के माध्यम से मंदिर को सौंदर्य और धार्मिक महत्व मिलता है।
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