गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan)

Ganesh Visarjan

गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan)

गणेश चतुर्थी से शुरू हुआ गणेश उत्सव अनंत चतुर्दशी पर समाप्त हो जाता है। इस आखिरी दिन पर लोग अपने घरों और मोहल्ले के पंडालों में स्थापित की गई गणेश जी प्रतिमा को किसी जल स्त्रोत में विसर्जित कर देते हैं। इसके अलावा कुछ लोग गणेश स्थापना के तीसरे, पांचवे और सातवें दिन विसर्जन करते हैं तो कुछ पूरे दस दिन के बाद ही मंगल की कामना करते हुए अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan) करते हैं। गणेश विसर्जन के समय कुछ बातें ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण है, तभी साधक को भगवान गणेश (Lord Ganesha) का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त होता है।

गणेश विसर्जन का महत्व (Importance of Ganesh Visarjan)

सनातन परंपरा में भगवान गणेश (Lord Ganesha) को बु्द्धि, वाणी, विवेक और समृद्धि के देवता माना गया है। मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा करने से सभी तरह की परेशानियां खत्म हो जाती हैं और वास्तु संबंधी दोष तुरंत दूर हो जाते हैं। इसलिए हर शुभ कार्य के पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर हुआ था। इसलिए चतुर्थी पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करके आगामी दस दिनों तक उनकी पूजा अर्चना की जाती है। उसके उपरांत दसवें दिन गणेश जी प्रतिमा का विसर्जन करते हुए उनका आशीर्वाद लिया जाता है।

2024 में गणेश विसर्जन कब है? (Ganesh Visarjan in 2024)

साल 2024 में अनंत चतुर्दशी 7 सितंबर को पड़ रही है। इसलिए इस दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने पवित्र जल स्त्रोतों में उनकी प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा।

गणेश प्रतिमा को विसर्जित क्यों किया जाता है? (Why Ganesha idol immersed?)

गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan) के पीछे पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना के लिए गणेशजी का आह्नान किया। उन्होंने गणेश जी से महाभारत को लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की। गणेश जी ने इस काम के लिए हामी भर दी। लेकिन उन्होंने महर्षि वेदव्यास से कहा कि वो एक बार लेखन शुरू कर देंगे तो रुकेंगे नहीं। यदि उनकी कलम रुक गई तो वो लेखन बंद कर देंगे। वेदव्यास जी और गणेश जी के बीच इस बात को लेकर परस्पर सहमति बन गई।

महाभारत लेखन का कार्य शुरू हो गया। लेखन के बीच में कोई भी नया कार्य करना वर्जित था। ऐसे में थकान तो होना ही थी। लेखन के समय गणेश जी के शरीर का तापमान न बढ़े इसके लिए वेदव्यास जी ने गणेश जी के शरीर पर मिट्टी का लेप लगा दिया। महाभारत का लेखन कार्य दस दिनों तक चलता रहा। चतुर्दशी के दिन यह सम्पन्न हुआ। तब वेदव्यास जी ने देखा कि गणेश भगवान के शरीर का तापमान बेहद ज्यादा है। शरीर में लगा मिट्टी का लेप सूख चुका है और सूखी हुई मिट्टी झड़ रही है। तब वेदव्यास जी ने उन्हें पानी में बैठा दिया। इसी को आधार मानकर हर साल अनंत चतुर्दशी पर भगवान गणेश की प्रतिमाओं को पानी में विसर्जित कर दिया जाता है।

गणेश विसर्जन विधि (Ganesh immersion method)

  • विसर्जन के पूर्व भगवान गणेश की प्रतिमा की विधिवत पूजा-अर्चना करें।
  • पूजा अर्चना करते समय भगवान गणेश को लड्डू, दूर्वा और फल जरूर अर्पित करें।
  • भगवान गणेश की आरती करें और भगवान से विदा लेने के लिए प्रार्थना करें।
  • इसके बाद भगवान गणेश की प्रतिमा को सम्मान से उठा लें।
  • एक लड़की की चौकी लें, उस पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान की प्रतिमा को उस पर रख दें।
  • पास रखी सभी चीजों की पोटली बनाकर गणेशजी के पास ही रख दें।
  • गणेश जी प्रतिमा के ऊपर गंगाजल का छिड़काव करें।
  • अब गणेशजी की मूर्ति को जल में विसर्जित कर दें और अपनी मनोकामना पूर्ण होने की अनुरोध करें।
  • इसके बाद अंत में हाथ जोड़कर अगले वर्ष दोबारा आने की कामना करें।

प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न: गणेश जी का विसर्जन किस दिन करना चाहिए?

उत्तर: गणेश जी का विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन करना चाहिए।

प्रश्न: गणेश जी का विसर्जन कहां करना चाहिए?

उत्तर: गणेश जी का विसर्जन किसी पवित्र जल स्त्रोत में करना चाहिए। इसके अलावा घर में पानी से भरे पात्र में भी गणेश जी का विसर्जन कर सकते हैं। विसर्जन के बाद पात्र में भरे हुए पानी को किसी गमले में या पौधे में डाल दें।

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