आधुनिक समय में ज्योतिष शास्त्र (Jyotish Shatra) के साथ-साथ वास्तु शास्त्र (Vaastu Shatra) का भी विशेष महत्व है। प्राचीन काल से लेकर आज तक किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले पूजा अर्चना की जाती है। नया घर और नया ऑफिस खरीदना दोनों ही किसी भी व्यक्ति के जीवन के अत्यंत शुभ कार्य है और नए घर में गृह प्रवेश (Grihapravesh) और नए ऑफिस में कार्य की शुरुआत से पहले आजकल वास्तु शास्त्र का विशेष ध्यान रखा जाता है। अगर घर और ऑफिस बनवा रहे है तो बनवाते समय, बना बनाया खरीद रहे है तो खरीदते समय वास्तु के सभी पहलुओं पर गौर किया जाता है और यदि फिर भी कोई वास्तु दोष रह जाता है तो वास्तु शांति के लिए वास्तु हवन (Vastu Havan) किया जाता है।
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra)
वास्तु शास्त्र एक विज्ञान है जो हमारे घर और काम के स्थान पर चारों ओर उपस्थित विभिन्न ऊर्जाओं को हमारा कवच बना देता है जो हमें हर बुरी नजर और विपत्तियों से बचाता है।
वास्तु का अर्थ है भगवान (Bhagwan) और मनुष्य का साथ। हमारा शरीर पांच मुख्य पदार्थों से बना है और वास्तु का संबंध इन पांचों ही तत्वों से माना जाता है। कई बार ऐसा होता है कि हमारा घर, दुकान या ऑफिस हमारे शरीर के अनुकूल नहीं होता, तब यह बात हम पर विपरीत असर डालती है और इसे ही वास्तु दोष कहा जाता है। घर के किसी भी भाग को तुड़वाकर दोबारा बनवाने से भी वास्तु भंग दोष लगता है।
वास्तु दोष के निवारण के लिए ही वास्तु हवन किया जाता है।
वास्तु हवन (Vastu Havan) वास्तुशांति के लिए किया गया हवन है। वास्तु हवन मुख्यतः नए घर या ऑफिस में प्रवेश से पहले किया जाता है। हवन करवाने वाले व्यक्ति को या दंपति को हवन होने तक उपवास रखना चाहिए।
वास्तु हवन (Vastu Hawan) के लिए सबसे पहले हवन वेदी की स्थापना की जाती है फिर चारों दिशाओं में 32 देवता और मध्य मे 13 देवता स्थापित किए जाते है। मंत्रोच्चरण से सभी देवताओं का आह्वान किया जाता है। इसके बाद आठों दिशाओं, पृथ्वी व आकाश की पूजा की जाती है। हवन वेदी पर हवन कुंड रखकर अग्नि की स्थापना की जाती है। फिर अग्नि प्रज्वलित करके इसमें हवन सामग्री में तिल, जौ, चावल, घी, बताशे मिलाकर वास्तु मंत्र पढ़ते हुए 108 आहुतियां दी जाती है। अंत में हवन कुंड (Havan Kund) में पूर्ण आहुति दी जाती है। भोग लगाया जाता है और इसी के साथ हवन संपन्न किया जाता है।
किसी शुभ दिन या रवि पुष्य योग को वास्तु हवन पूजन कराना चाहिए।
।।वास्तोष्पते प्रति जानीह्यस्मान् त्स्वावेशो अनमीवोरू भवान्।।
।।यत् त्वेमहे प्रति तन्नो जुषस्व शं नो भव द्विपदे शं चतुष्पदे।।
पूजन सामग्री में सिक्कें, सुपारी, सुगंधित द्रव्य, नारियल, मौली, कुमकुम, चावल, खोपरा गोला, आम की लकड़ी, आम के पत्तें, जौ, काले तिल, असली घी, पंचमेवा, पांच प्रकार की मिठाई, पांच प्रकार के फल, पांच प्रकार के फूल, हवन सामग्री (Havan Samagri), तिल, जौ, चावल, घी, बताशे, हवन कुंड (Havan Kund) आदि।
वास्तु हवन घर या ऑफिस की गलत दिशात्मक संरचना के दुष्प्रभाव से बचाता है।
वास्तु हवन दुर्भाग्य, नुकसान और अनहोनी से बचाता है।
वास्तु हवन घर में कलह, धन हानि व रोगों से छुटकारा दिलाता है।
वास्तु हवन से समृद्धि, मानसिक शांति, खुशी प्राप्त होती है।
वास्तु हवन से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
सभी मह्त्वपूर्ण कार्यो जैसे अनुष्ठान, भूमि पूजन, नींव खनन, कुआं खनन, शिलान्यास, द्वार स्थापन व गृह प्रवेश आदि अवसरों पर वास्तु देव पूजा का विधान है।
हिंदू धर्म में यज्ञ हवन (Yagya Havan) का विशेष महत्त्व है। वास्तु हवन से सभी प्रकार के वास्तु-दोष और ग्रह दोष खत्म हो जाते है।
वास्तु हवन से जुड़े प्रश्न और उत्तर
प्रश्न: वास्तु हवन का धार्मिक महत्त्व क्या है?
उत्तर: हिंदू धर्म में यज्ञ हवन का विशेष महत्त्व है। वास्तु हवन से सभी प्रकार के वास्तु-दोष और ग्रह दोष खत्म हो जाते हैं, जिससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
प्रश्न: वास्तु हवन की विधि क्या है?
उत्तर: वास्तु हवन के लिए सबसे पहले हवन वेदी की स्थापना की जाती है। चारों दिशाओं में 32 देवता और मध्य में 13 देवता स्थापित किए जाते हैं। मंत्रोच्चारण से देवताओं का आह्वान किया जाता है। आठों दिशाओं, पृथ्वी और आकाश की पूजा की जाती है। हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलित करके हवन सामग्री में तिल, जौ, चावल, घी, बताशे मिलाकर 108 आहुतियां दी जाती हैं। अंत में पूर्ण आहुति दी जाती है।
प्रश्न: वास्तु हवन में कौन-कौन सी सामग्री की आवश्यकता होती है?
उत्तर: वास्तु हवन में सिक्कें, सुपारी, सुगंधित द्रव्य, नारियल, मौली, कुमकुम, चावल, खोपरा गोला, आम की लकड़ी, आम के पत्तें, जौ, काले तिल, असली घी, पंचमेवा, पांच प्रकार की मिठाई, पांच प्रकार के फल, पांच प्रकार के फूल, हवन सामग्री, तिल, जौ, चावल, घी, बताशे, और हवन कुंड की आवश्यकता होती है।
प्रश्न: वास्तु हवन का महत्व क्या है?
उत्तर: वास्तु हवन घर या ऑफिस की गलत दिशात्मक संरचना के दुष्प्रभाव से बचाता है। यह दुर्भाग्य, नुकसान और अनहोनी से भी बचाता है। इसके अलावा, यह घर में कलह, धन हानि व रोगों से छुटकारा दिलाता है और समृद्धि, मानसिक शांति, खुशी और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
प्रश्न: किन अवसरों पर वास्तु हवन करना चाहिए?
उत्तर: वास्तु हवन अनुष्ठान, भूमि पूजन, नींव खनन, कुआं खनन, शिलान्यास, द्वार स्थापन, गृह प्रवेश और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के अवसर पर किया जाना चाहिए।
प्रश्न: वास्तु पूजन का मंत्र क्या है?
उत्तर: वास्तु पूजन का मंत्र है:
।।वास्तोष्पते प्रति जानीह्यस्मान् त्स्वावेशो अनमीवोरू भवान्।।
।।यत् त्वेमहे प्रति तन्नो जुषस्व शं नो भव द्विपदे शं चतुष्पदे।।
प्रश्न: वास्तु शास्त्र क्या है?
उत्तर: वास्तु शास्त्र एक विज्ञान है जो हमारे घर और काम के स्थान पर उपस्थित विभिन्न ऊर्जाओं को संतुलित करता है। यह हमें हर बुरी नजर और विपत्तियों से बचाने का कार्य करता है।
प्रश्न: वास्तु दोष क्या होता है?
उत्तर: जब घर, दुकान या ऑफिस की संरचना या दिशा हमारे शरीर और मन के अनुकूल नहीं होती, तो यह हमारे जीवन पर विपरीत असर डालती है। इसे ही वास्तु दोष कहा जाता है। यह दोष घर के किसी भी भाग को तुड़वाकर दोबारा बनवाने से भी उत्पन्न हो सकता है।
पूरब पश्चिम विशेष -
नवग्रह हवन (Navagraha Havan) | गायत्री हवन (Gayatri Havan)
धर्म के बारे में बहुत ही रोचक जानकारी पढ़कर बहुत अच्छा लगा । भगवान विष्णु के स्वरूप और विस्तार के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा ।
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