Story behind Ram Mandir Construction in Ayodhya
अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) का निर्माण हो रहा है और जल्द ही रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा (Ramlala ki Pran Pratishtha) होने जा रही है। इस अवसर को स्मरणीय बनाने के लिए व्यापक तैयारियां की जा रहीं हैं। यह मंदिर सनातन धर्मावलंबियों की आस्था का एक बहुत बड़ा केंद्र है। मंदिर निर्माण के लिए लाखों की संख्या में हिंदुओं ने लंबी लड़ाई लड़ी है, जिसमें कानूनी लड़ाई भी शामिल है।
कहा जाता है कि अयोध्या (Ayodhya) में श्री रामलला (Ramlala) के जन्मस्थान पर मंदिर मौजूद था। जिसे बाबर (Babur) के सेनापति मीर बाकी (Mir Baki) ने तुड़वाकर उस जगह पर मस्जिद का निर्माण कर दिया। मीर बाकी बाबर का सेनापति था इसलिए उसने बाबर के सम्मान में मस्जिद का नाम बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) रख दिया। इसके बाद कई सालों तक भारत में विदेशी आक्रांताओं का शासन रहा। जिसके कारण मंदिर को लेकर हिन्दू बहुत ज्यादा मुखर नहीं हो पाए। 19वीं शताब्दी में जैसे ही अंग्रेजों की पकड़ भारत में मजबूत हुई और मुगलों का शासन समाप्त हुआ। वैसे ही हिंदुओं ने राम मंदिर का मुद्दा उठाया और रामलला के जन्मस्थल को वापस पाने की लड़ाई शुरू कर दी।
इसके बाद कई बार न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया और लोगों ने कोर्ट में अर्जी लगाई। सबसे पहले 1885 में निर्मोही अखाड़े के महंत रघुवर दास ने इस मामले में मुकदमा दायर किया। इसके बाद स्वतंत्र भारत में पहली बार 16 जनवरी 1950 को इस मामले में कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। इसके बाद पूरे देश में राम मंदिर निर्माण (Ram Mandir Nirman) के लिए साल 1992 में जन आंदोलन हुआ। जिसमें बाबरी मस्जिद के ढांचे को ढहा दिया गया। इस आंदोलन में की लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी। जिसके बाद एक बार फिर से यह मामला कोर्ट में पहुंच गया। 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) की लखनऊ खंडपीठ ने विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बाटने का आदेश दिया। जिसमें एक तिहाई श्री राम जन्मभूमि माना गया, एक तिहाई जमीन निर्मोही अखाड़े को दी गई और बची हुई एक तिहाई जमीन मुस्लिम पक्ष को दी गई।
इसके बाद यह मामला देश के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में पहुंच गया। 9 नवम्बर 2019 को सर्वोच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की बेंच ने विवादित जमीन को श्री राम जन्मभूमि स्थल माना। इसके बाद 5 अगस्त 2020 को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट देखरेख में राम मंदिर का भूमि पूजन किया गया और मंदिर निर्माण शुरू हो गया। मंदिर का भूमि पूजन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था।
1528: मीर बाकी ने राम मंदिर की जगह बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया।
1850: पहली बार राम जन्मभूमि को लेकर सांप्रदायिक हिंसा हुई।
1949: मस्जिद के भीतर मूर्तियां मिली, जिसके बाद साम्प्रदायिक तनाव तेज हो गया। हिंदुओं में असंतोष की भावना व्याप्त हो गई।
1961: उत्तर प्रदेश का सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड मामले में कूदा और उसने वहां से मूर्तियां हटाने की मांग की।
1986: फैजाबाद की जिला अदालत ने आदेश जारी करते हुए हिंदू उपासकों के लिए विवादित स्थल को खोल दिया।
1992: 6 दिसंबर को एक विशाल जनआंदोलन के बीच कारसेवकों की भारी भीड़ ने बाबरी मस्जिद को गिरा दिया।
2010: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच तीन हिस्सों में बांटने का आदेश जारी किया।
2011: देश के सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी।
2016: सुब्रमण्यम स्वामी याचिका लेकर सर्वोच्च न्यायालय पहुंचे और उन्होंने विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण की मांग की।
2019: सभी पक्षों को सुनने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने स्वीकार किया कि विवादित जगह पर रामलला का जन्म हुआ था और जजों की बेंच ने पूरी 2.77 एकड़ विवादित भूमि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंप दी। साथ ही मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया।
2020: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विद्वान पंडितों की उपस्थिति में मंदिर का भूमि पूजन किया और मंदिर का निर्माण शुरू हो गया।
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