विद्वानों और ज्योतिष आचार्यों के अनुसार जयंती और जन्मोत्सव दोनों शब्द का प्रयोग भिन्न स्थानों पर किया जाता है। जयंती शब्द का प्रयोग उस व्यक्ति के लिए किया जाता है जो इस भूमण्डल पर उपस्थित नहीं है अर्थात् जो इस पृथ्वी पर मौजूद नहीं हैं और जन्मोत्सव शब्द का प्रयोग उस व्यक्ति के लिए किया जाता है जो जन्म से लेकर अभी तक इस पृथ्वी पर उपस्थित है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पुराणों और ग्रंथों के अनुसार पवनपुत्र हनुमान (Pawan Putra Hanuman) कलयुग में भी जीवित हैं और और कलयुग के अंत तक शरीर सहित पृथ्वी पर जीवित रहेंगे। यही कारण है कि हनुमान जी के जन्म-तिथि को बहुत से लोग हनुमान जन्मोत्सव (Hanuman Janmotsav) भी कहते हैं।
वहीं यदि धरती पर देवी-देवता मनुष्य के रूप में जन्म लेकर, अपने कर्म पूर्ण कर अपने धाम को पुनः लौट जाते हैं, उनकी जन्म-तिथि को जयंती कहा जाता है।
Purab Pashchim विशेष -
Hanuman Chalisa | Hanuman Aarti | Panchmukhi Hanuman
0 Comments:
Leave a Reply