सनातन परंपरा में श्री राम को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का अवतार माना जाता है। भगवान राम दुनिया भर में पूजे जाने वाले राजा हैं। महाकाव्य वाल्मीकि रामायण (Valmiki Ramayan) के अनुसार, भगवान राम का जन्म अयोध्या (Ayodhya) में त्रेतायुग में हुआ था। जिस जगह पर उनका जन्म हुआ था उसे आज के युग में श्री राम जन्मभूमि (Shri Ram Janmbhoomi) के नाम से जाना जाता है; जहां वर्तमान में भव्य मंदिर का निर्माण चल रहा है। यह मंदिर 5 अगस्त 2020 से बनाया जा रहा है। मंदिर की आधारशिला भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने विद्वान पड़ितों के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच रखी थी। इस दौरान पीएम मोदी ने गंगा, सिन्धु, यमुना, सरस्वती और कावेरी नदी का जल अर्पित करके भूमि पूजन किया था। मंदिर के भूमि पूजन की खुशी में अयोध्या में 7 हजार से ज्यादा दीये जलाए गए थे।
आज हम राम मंदिर में लगने वाली निर्माण सामग्री, वास्तुकला और बनावट के बारे में आपको बताएंगे।
राम मंदिर (Ram Mandir Ayodhya) में लगने वाली प्रमुख निर्माण सामग्री बलुआ पत्थर (sandstone) बंसी पाल सेंडस्टोन के नाम से विख्यात है। यह पत्थर राजस्थान के भरतपुर क्षेत्र में मिलता है। यह सुंदर बलुआ पत्थर बयाना शहर के निकट बंसी पहाड़पुर खनन क्षेत्र से खोदकर अयोध्या भेजा जा रहा है। जहां कुशल कारीगरों द्वारा पत्थरों को तराशकर मंदिर के लिए शिलाओं का निर्माण किया जा रहा है। जिन्हें मंदिर में लगाया जा रहा है।
कहा जाता है कि गुलाबी रंग का यह खूबसूरत पत्थर पानी में रहने के साथ ही ज्यादा मजबूत, टिकाऊ और सुंदर होता जाता है। इनका उपयोग अनेक ऐतिहासिक इमारतों और मंदिरों के निर्माण के लिए किया गया है।
मंदिर में खिड़कियों और दरवाजों के लिए विशेष स्थान दिया गया हैं जहां खिड़की और दरवाजे लगाए जा रहे हैं। मंदिर में लगने वाले सभी दरवाजे और खिड़कियां सागौन की लकड़ी से बनाए जा रहे हैं। सागौन की लकड़ी को इमारती लकड़ी के नाम से जाना जाता है, कहा जाता है कि सागौन की लकड़ी से बने दरवाजों की उम्र लगभग 100 साल होती है। मंदिर बनाने के लिए सागौन की लकड़ियां महाराष्ट्र के चंद्रपुर से मंगवाई गई हैं। इन लकड़ियों से कुशल कारीगरों के द्वारा खिड़कियों और दरवाजों को निर्माण हो रहा है।
इस सामग्री के अतिरिक्त मंदिर में 2100 किलो वजन का एक विशाल घंटा लगने जा रहा है; जो आकार में 6 फुट ऊंचा और 5 फुट चौड़ा होगा। इनके अतिरिक्त मंदिर में 10 छोटे घंटे भी लगाए जाएंगे। साथ ही मंदिर परिसर में सैकड़ों ताम्र कलश, धर्म ध्वजायें स्थापित करने की योजना है। शाम और सुबह के समय आरती में ध्वनि के लिए विशाल नगाड़ा रखा जा रहा है।
राम मंदिर के प्रमुख वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा (Chandrakant Sompura) हैं, जिन्होंने सालों पहले राम मंदिर की बनावट पेपर पर तैयार कर दी थी। यह एक नागर शैली (Urban Style) का मंदिर है, जो उत्तर भारत में मंदिर निर्माण की प्रमुख वास्तुकला है। उत्तर भारत के अधिकांशतः मंदिर नागर शैली में ही बनाए गए हैं, इसलिए राम मंदिर की वास्तुकला के चयन में भी नागर शैली का ध्यान रखा गया है।
यह मंदिर आधार पर बनाया गया है जो चबूतरे के आकार का है। मंदिर में एक गर्भगृह है, जहां रामलला (Ramlala) को विराजमान किया जाएगा। यह गर्भगृह अष्टकोणीय बनाया गया है। इस मंदिर में गर्भगृह के सामने मंडपों का निर्माण किया गया है। जिन्हें नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप के नाम से जाना जाएगा। इस मंदिर के शिखर का निर्माण हो रहा है जिसमें कलश स्थापित किया जाएगा। मंदिर में कुल 366 स्तंभ होंगे। इन स्तंभों में विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं। प्रत्येक स्तम्भ में 16 मूर्तियां होंगी।
राम मंदिर की बनावट प्रमुख वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा ने अपने बेटों निखिल सोमपुरा और आशीष सोमपुरा की सहायता से बनाई है। इस मंदिर में गर्भगृह के साथ मंडपों का निर्माण किया गया है। मंदिर की परिधि गोलाकार है। गर्भगृह की बनावट इस तरह से की गई है कि सूर्य भगवान (Surya Bhagwan) की किरणें सीधे रामलला पर पड़ें। पांच मंडपों में से एक मंडप पूरी तरह से ढंका होगा, जिसे गृह मंडप के नाम से जाना जाएगा। बाकी चारो मंडप खुले रहेंगे।
मंदिर 2.7 एकड़ भूमि में बन रहा है। जिसमें 54,700 वर्गफुट भूमि शामिल है। मंदिर का पूरा परिसर लगभग 70 एकड़ में फैला हुआ है। मंदिर के परिसर की बनावट इस तरह से तैयार की गई है कि भगवान राम (Bhagwan Shri Ram के दर्शन करने के लिए लाखों भक्त एक साथ परिसर में आ सकें। मंदिर में चढ़ने के लिए 32 सीढ़ियां बनाई गई हैं। साथ ही बुजुर्गों को चढ़ने के लिए रैम्प का निर्माण किया गया है। पूर्व से पश्चिम की ओर मंदिर की लंबाई 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट रहेगी। मंदिर के चारों ओर 732 मीटर लंबी और 14 फीट चौड़ी पार्कोटा (आयताकार परिसर की दीवार) का निर्माण किया जाएगा।
राम मंदिर से जुड़े प्रश्न और उत्तर
प्रश्न: राम मंदिर में किस प्रकार की सामग्री का उपयोग किया गया है?
उत्तर: राम मंदिर में मुख्य रूप से बलुआ पत्थर, सागौन की लकड़ी, ताम्र कलश, और खगोल आधारित उपकरणों का उपयोग हो रहा है।
प्रश्न: राम मंदिर की वास्तुकला में कैसी विशेषताएं हैं?
उत्तर: राम मंदिर की वास्तुकला उत्तरी भारतीय नागर शैली में है और इसमें गोलाकार परिधि, गर्भगृह, और मंडपों की सुंदर बनावट है।
प्रश्न: राम मंदिर में कितने प्रकार के मंडप हैं?
उत्तर: मंदिर में पांच मंडप हैं, जिनमें नृत्य, रंग, सभा, प्रार्थना, और कीर्तन मंडप शामिल हैं।
प्रश्न: राम मंदिर का कुल क्षेत्र और ऊँचाई क्या होगी?
उत्तर: मंदिर का कुल क्षेत्र 2.7 एकड़ है और इसकी ऊँचाई 161 फीट है।
प्रश्न: राम मंदिर में कितनी मूर्तियाँ हैं और कौन-कौन से देवी-देवताओं की मूर्तियाँ हैं ?
उत्तर: मंदिर में कुल 366 स्तंभ हैं, जिनमें 16 मूर्तियाँ प्रति स्तंभ हैं। प्रत्येक स्तंभ पर विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियाँ उकेरी गई हैं।
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