भारत में नवरात्रि (Navratri) का पर्व साल में दो बार मनाया बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। श्रद्धा, भक्ति और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला यह पर्व जगत जननी माँ भगवती दुर्गा की पूजा का प्रतीक है। इस त्यौहार में आदिशक्ति माँ जगदंबा की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्तगण उनकी पूजा करते हैं और कन्याओं को भोजन करवाते हैं।
महानवमी (mahanavami) नवरात्रि का आखिरी दिन होता है। यह दिन माँ सिद्धिदात्री (Siddhidatri) को समर्पित है। कहा जाता है कि जब माँ ने राक्षस महिषासुर (Mahishasura) को हराया था, तब उन्होंने अपनी पूरी दिव्य शक्ति प्रकट की थी। माँ दुर्गा (Maa Durga) के द्वारा महिषासुर का वध करना बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। महिषासुर का वध करने के कारण ही माँ दुर्गा को महिषासुरमर्दिनी (mahishasurmardini) कहा जाता है।
साल 2024 की शारदीय नवरात्रि में महानवमी 12 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी। महानवमी के दिन माँ की शास्त्रीय पद्धति से पूजा करने वाले साधक सभी रोगों से मुक्त हो जाते हैं और उन्हें सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
माँ सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान हैं और शेर की सवारी करती है। माँ के मुख पर एक दीप्तिमान आभा झलकती है। यही प्रकाश संसार में कल्याण लाता है। माँ चारभुजा धारी हैं। उनके एक हाथ में गदा तो दूसरे हाथ में चक्र है, तीसरे हाथ में शंख तो चौथे हाथ में कमल विद्यमान है। माँ दुर्गा का यह स्वरूप सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करने वाला माना गया है।
महानवमी के दिन प्रातः काल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
अपने घर के पूजा स्थल की साफ सफाई करें।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था, तब उनका क्रोध चरम पर था। उनका यह स्वरूप देखकर सभी देवी-देवता थर-थर कांपने लगे थे। कोई भी देवता माँ के इस क्रोध को शांत करा पाने में सक्षम नहीं थे।
यह देखकर सभी देवी देवता भगवान शिव (Bhagwan Shiv) के पास पहुंचे। उन्होंने शिव जी से प्रार्थना करते हुए कहा कि हे भगवन ! आप माता का यह क्रोध शांत करने की कृपा करें, नहीं तो इस सृष्टि का यहीं अंत हो जाएगा। तब भगवान शिव मां दुर्गा के पास पहुंचे। उन्होंने अपने तेज से माँ दुर्गा के क्रोध को शांत किया। उसी समय एक तेज की उत्पत्ति हुई जिससे माँ सिद्धिदात्री प्रकट हुईं। इस दौरान माँ सिद्धिदात्री की अनुकंपा से भगवान शिव का आधा शरीर देवी हो गया था और वह अर्धनारीश्वर कहलाए। माँ दुर्गा के नौ रूपों में यह रूप सबसे ज्यादा शक्तिशाली है।
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