प्रत्येक संकट को हरने वाले संकटमोचन हनुमान जी महाराज (Sankatmochan Hanuman ji Maharaj) की शरण में जाने वाले को किसी प्रकार का दुख नहीं रहता है। ऐसी मान्यता है कि कलयुग में केवल हनुमान महाराज जी (Hanuman ji Maharaj) ऐसे देव हैं जो सशरीर उपस्थित हैं। वे अपने भक्तों की करुण पुकार को बहुत जल्द ही सुनकर उनके कष्ट हर लेते हैं। उनकी पूजा-अर्चना के लिए अनेक श्लोक, मंत्र, आरती, गीत एवं रामायण है लेकिन हनुमान जी (Hanuman ji) को जल्द प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) ऐसा मंत्र है, जो भक्त की सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण करता है।
हिन्दू धर्म का एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं होगा जो हनुमान चालीसा से परिचित नहीं होगा किन्तु हनुमान चालीसा को हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) क्यों कहते हैं, यह अधिकांश लोग नहीं जानते होंगे। यदि आप हनुमान चालीसा की पुस्तिका को ध्यान से देखेंगे कि इसमें शुरू में दो दोहे दिये गये हैं जिनकी शुरुआत श्रीगुरु चरन सरोज रज....... से होती है और .......हरहु कलेश विकार से समाप्ति होती है। इसके बाद इस हनुमान चालीसा में हनुमान महराज जी (Hanuman ji Maharaj) को प्रसन्न करने के लिए 40 चौपाइयां लिखी हुई हैं, जिनकी शुरुआत जय हनुमान (JaiHanuman) ज्ञान गुन.... से होकर तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजे नाथ हृदय में डेरा पर समाप्त होती है।
अंत में एक दोहा पवन तनय संकट....से शुरू होकर बसहु सदा सुरभूप से होता है। इन तीन दोहों और 40 चौपाइयों के संग्रह को हनुमान चालीसा कहते हैं। वैसे 40 चौपाइयों के कारण इसका नाम हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) पड़ा है।
हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) की रचना की कहानी बहुत ही रोचक एवं आश्चर्यजनक है। शास्त्रों में वर्णित जानकारियों के अनुसार मुगलकाल में जब अकबर का साम्राज्य चल रहा था तब एक बार एक जगह से तुलसीदास जी (Tulsidas ji) पूजा करके लौट रहे थे तो रास्ते में एक दुखी महिला ने उनके पैर छू लिये। तुलसीदास जी ने उसे सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दे दिया। जबकि उसका पति मृत पड़ा था। जब उसने तुलसीदास जी को पति के देहांत की बात बतायी तो उन्होंने कहा कि मैं राम भक्त (Ram Bhakt) हूं और मेरा आशीर्वाद कभी निष्फल नहीं होता। उन्होंने उस महिला से राम-राम (Ram-Ram) जपने को कहा। महिला ने वैसा ही किया और उसका पति जीवित हो उठा।
इस बात की जानकारी जब अकबर के समक्ष पहुंची तो सम्राट ने सिपाहियों से तुलसीदास जी को पकड़ कर दरबार में बुलवाया और उनसे चमत्कार करने की बात कही। तुलसीदास जी ने कहा कि वह कोई जादूगर नहीं और न ही कोई चमत्कार ही दिखलाते हैं, वह तो केवल राम भक्त हैं और उन्हें अपने इष्ट देव श्रीराम (Bhagwan Shri Ram) पर पूरा भरोसा है। यह बात सुनकर अकबर नाराज हो गया और तुलसीदास जी को फतेहपुर सीकरी की जेल में बंद करवा दिया। जेल में बंद तुलसीदास जी ने हनुमान महाराज जी (Hanuman Ji Maharaj) का ध्यान करते हुए इस हनुमान चालीसा की रचना (Hanuman Chalisa ki Rachna) की।
जेल में लगातार 40 दिनों तक हनुमान चालीसा का पाठ (Hanuman Chalisa Path) किया। इसके फलस्वरूप एक दिन बंदरों का विशाल झुंड या कहिये वानर सेना ने जेल से पूरे शहर पर हमला कर दिया। अकबर के सैनिकों पर भीषण हमला करके लहूलुहान कर दिया और पूरे शहर को तहस नहस कर दिया। जेल पर हमले के साथ ही जेल रक्षकों ने तुलसीदास जी को मुक्त कर दिया। इसके बाद तुलसीदास जी अपने स्थान को लौट गये। बंदरों के हमले से अकबर के सिपहसालार इतने भयभीत हो गये कि दुबारा तुलसीदास जी को ढूंढने का प्रयास तक नहीं किया।
हनुमान चालीसा के धार्मिक महत्व का वर्णन ही नहीं किया जा सकता है। हनुमान चालीसा साधारण पूजा का गीत या कीर्तन नहीं है बल्कि यह एक सिद्ध मंत्र है। आवश्यकता केवल भक्त की आस्था एवं विश्वास की है। यदि कोई सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा-भक्ति व लगन से हनुमान चालीसा का पाठ (Hanuman Chalisa Path) करता है, उसका चाहे कितना ही कठिन कार्य हो, असंभव से असंभव कार्य भी चुटकी बजाते हुए आसानी से पूर्ण हो जाता है।
अपनी मनोकामना पूर्ण करने और संकट टालने के लिए हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का विभिन्न अवधियों में पाठ किया जाता है।अपनी कामना के अनुसार भक्त दिन में पांच बार, दिन में 11 बार हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का पाठ करते हुए 40 दिन का अनुष्ठान करते हैं। उनकी मनोकामना अवश्य ही पूर्ण होती है। साधारण तौर पर प्रतिदिन हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का पाठ करना चाहिये।
अनुष्ठान के लिए जानकार आचार्यों से ज्ञान प्राप्त कर विधि-विधान से हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का पाठ करना चाहिये। हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) के धार्मिक लाभ का पहला प्रमाण गोस्वामी तुलसीदास जी (Goswami Tulsidas Ji) स्वयं हैं जिन्हें 40 दिन पाठ करने से कारागार से मुक्ति मिल गयी थी। ऐसी चर्चा है कि आज के समय में भी जेलों में हजारों कैदी हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का पाठ करने से मुक्त हो चुके हैं। इसीलिये उत्तर भारत में जेलों के पास एक हनुमान जी का मंदिर (Hanuman ji ka Mandir) अवश्य मिलेगा।
यही नहीं कैदियों के साथ रक्षक दलों के भी आराध्य हनुमान महाराज जी (Hanuman Maharaj ji) है। इसलिये पुलिस थानों, पीएसी चौकियों एवं अन्य रक्षक दलों के स्थायी व अस्थायी कार्यालयों के आसपास हनुमान (Hanuman) महाराज जी के स्थायी व अस्थायी मंदिर मिल जायेंगे।
बताया जाता है कि वाराणसी (Varanasi) में गंगा तट (Ganga tat) पर गोस्वामी तुलसीदास जी रामचरित मानस (Ramcharitmanas) का नित्यप्रति पाठ करते थे। वहां भारी संख्या में राम भक्त वहां राम कथा को सुनने के लिए आते थे। इन राम भक्तों में एक ऐसा वृद्ध व्यक्ति रोजाना सबसे पहले आता था और सबसे बाद में जाता था। कई दिनों तक तुलसीदास जी ने यह क्रम देखा तो उनके मन में आया कि यह सबसे पहले आने वाला सबसे बाद में जाने वाला वृद्ध व्यक्ति संभवत: हनुमान जी (Hanuman Ji) हैं क्योंकि उनकी मान्यता थी जहां पर राम कथा होती है वहां हनुमान जी अवश्य उपस्थित रहते हैं।। यह सोचकर अगले दिन उन्होंने उस वृद्ध व्यक्ति पर नजर रखी। देखा कि रोजाना की तरह सबसे पहले वो वृद्ध व्यक्ति कथा सुनने के लिए आ गया।
कथा समाप्त करने के बाद गोस्वामी जी ने वृद्ध व्यक्ति के पास उनका परिचय पूछा। काफी मान-मनौवल के बाद उन्होंने स्वीकार किया कि वे स्वयं हनुमान जी है। इसके बाद उन्होंने तुलसीदास जी को अपने दर्शन दिये। इस दौरान पहली बार तुलसीदास जी ने हनुमान (Hanuman) जी को हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का पाठ सुनाया। इससे वह काफी प्रसन्न हो गये। हनुमान जी ने तुलसीदास जी को यह आशीर्वाद दिया कि हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का पाठ जो व्यक्ति श्रद्धा-भक्ति के साथ करेगा। उसके सभी मनोरथ अवश्य ही पूर्ण होंगे तथा सुख-सम्पदा, वैभव व ऐश्वर्य प्राप्त होंगे।
शास्त्रों के अनुसार नियमित रूप से हनुमान चालीसा का जाप करने से अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं ।
रोजाना हनुमान चालीसा का जाप करने के लाभ:
यह माना जाता है की हनुमान चालीसा आपको आपके मानसिक और शारीरिक कष्टों से छुटकारा दिलाती है।
इससे आपको मन की शांति मिलती है।
यह आपको नम्रता, भक्ति और समर्पण की शक्ति सिखाती है।
यह नकारात्मक विचारों को दूर करता है और आपको सकारात्मकता देता है।
हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से आपको हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है।
हनुमान चालीसा आपके हर तरह के डर दूर करती है l
पहली दस चौपाईयों में हनुमान के शुभ रूप, ज्ञान, गुणों, शक्तियों और वीरता का वर्णन किया गया है। ग्यारह से बीस चौपाई में राम की सेवा में हनुमान के कृत्यों का वर्णन है, ग्यारहवीं से पंद्रहवीं चौपाई में लक्ष्मण को वापस होश में लाने में हनुमान की भूमिका का वर्णन है।
इक्कीसवीं चौपाई से तुलसीदास हनुमान की कृपा की आवश्यकता का वर्णन करते हैं। अंत में, तुलसीदास हनुमान की जय-जयकार करते हैं और उनसे अपने हृदय और वैष्णवों के हृदय में निवास करने का अनुरोध करते हैं। समापन दोहा फिर से हनुमान से राम, लक्ष्मण और सीता के साथ हृदय में निवास करने का अनुरोध करता है।
हनुमान चालीसा में एक श्लोक है जिसमें बताया गया है कि कैसे भगवान हनुमान सूर्य की ओर एक लंबी छलांग लगाते हैं और उसे मीठा फल समझकर खा लेते हैं।
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
जहाँ: 1 जुग = 12000 वर्ष, 1 सहस्त्र = 1000, 1 जोजाना (योजन) = 8 मील
=> 1 जुग * 1 सहस्त्र * 1 जोजन = 12000 *1000 * 8 = 96,000,000 मील
=> 9,60,00,000 * 1.6 किमी = 153,600,000 किमी।
वर्तमान गणना के अनुसार, पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी लगभग 150,000,000 किलोमीटर है l
इसके विपरीत, तुलसी दास ने अकबर के अत्याचार के आगे समर्पण करने के बजाय हनुमान चालीसा की रचना करके श्री हनुमान का सम्मान करना चुना। इकतालीसवें दिन ऐसा ही चलता रहा और फ़तेहपुर सीकरी शहर पर अचानक विशाल बंदरों की भीड़ ने कब्जा कर लिया। उन्होंने खिड़कियाँ तोड़ दीं, हर घर में (अकबर के हरम सहित) तोड़-फोड़ की, लोगों को खरोंचा और उन पर ईंटें फेंकीं, जिससे पूरे शहर में तबाही मच गई।
एक बुजुर्ग हाफ़िज़ ने अकबर को सूचित किया कि यह चमत्कार एक हिंदू फकीर ने किया था। अकबर ने माफी मांगी और तुलसी दास को तेजी से जमीन पर गिराकर जाने दिया। तुलसी दास ने अकबर को जाने के लिए कहकर बंदरों के आतंक को ख़त्म कर दिया।
हनुमान चालीसा से जुड़े प्रश्न और उत्तर
प्र. हनुमान चालीसा का महत्व क्या है?
उत्तर: हनुमान चालीसा हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है। इसे संकटमोचन हनुमान जी को समर्पित एक शक्तिशाली मंत्र माना जाता है, जो अड़ियल को हटाने और भक्तों की इच्छाओं को पूरा करने में सहायक है।
प्र. इसे हनुमान चालीसा क्यों कहा जाता है?
उत्तर: हनुमान चालीसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें संग्रहीत 40 चौपाइयाँ हैं, जो सीधे हनुमान जी को समर्पित हैं। "चालीसा" शब्द का उत्पत्ति संख्या 40 से हुआ है, जिससे प्रारूपित होती है कि यह 40 छंदों का समुदाय है।
प्र. हनुमान चालीसा कैसे रचा गया था?
उत्तर: हनुमान चालीसा की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी को समर्पित मानी जाती है। पौराणिक किस्से के अनुसार, तुलसीदास जी ने इसे अपने कारागार में लिखा, और इसका पाठ करने से अद्भुत परिणाम हुआ, जैसा कि तुलसीदास की एक दुखिनी स्त्री के साथ हुआ।
प्र. हनुमान चालीसा का धार्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: हनुमान चालीसा सिर्फ एक भक्तिगीत नहीं है; यह एक पवित्र मंत्र माना जाता है। श्रद्धा और भक्ति के साथ इसका पाठ करने से विभिन्न इच्छाएं पूर्ण हो सकती हैं, संघटनों को दूर कर सकता है, और हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।
प्र. क्या हनुमान चालीसा को विशेष उद्देश्यों के लिए पठा जा सकता है?
उत्तर: हाँ, भक्त अक्सर हनुमान चालीसा को विभिन्न उद्देश्यों के लिए पढ़ते हैं, जैसे कि चुनौतियों को पार करना, सुरक्षा मांगना, और विशेष इच्छाओं को पूरा करना। नियमित पठन से यह विश्वास किया जाता है कि यह आध्यात्मिक और लौकिक लाभ प्रदान करता है।
प्र. हनुमान चालीसा का पठन के लिए कोई निर्दिष्ट निर्देश हैं क्या?
उत्तर: हाँ, जो किसी के लिए ठीक हो, ऐसा कोई ठोस नियम नहीं है। कुछ भक्त इसे रोजाना, एक निश्चित बार, या विशेष शुभ समयों पर पढ़ना पसंद करते हैं।
प्र. कैसे हुए तुलसीदास जी के हनुमान जी के साक्षात्कार?
उत्तर: तुलसीदास जी ने गंगा तट पर रामचरित मानस का पाठ करते हुए वाराणसी में हनुमान जी के साक्षात्कार का अनुभव किया।
प्र. हनुमान चालीसा किस भाषा में लिखी गई थी?
उत्तर: हनुमान चालीसा को तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में लिखा, जो कि वाराणसी में रहते थे।
प्र. हनुमान चालीसा में वैज्ञानिक तथ्यों का उल्लेख है क्या?
उत्तर: हां, हनुमान चालीसा में सूर्य और पृथ्वी के बीच की सटीक दूरी का उल्लेख है, जिसे वैज्ञानिकों के मुकाबले 17वीं सदी में की गई गणना से अधिक सटीक माना जाता है।
प्र. क्या हनुमान चालीसा से सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी निकाली जा सकती है?
उत्तर: हां, हनुमान चालीसा में दी गई गणना से, जब यह किमी में परिणामित की जाता है, तो यह वर्तमान वैज्ञानिक अनुमान के काफी करीब आता है, जो सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी को दर्शाता है।
प्र. हनुमान चालीसा के जप का चमत्कारिक प्रभाव है क्या?
उत्तर: हां, हनुमान चालीसा के जप के चमत्कार का उदाहरण, तुलसीदास जी द्वारा अकबर के सामने किये गए चमत्कार की घटना को सारगर्भित करता है।
प्र. क्या तुलसीदास जी ने रामायण और हनुमान चालीसा दोनों लिखे थे?
उत्तर: हां, तुलसीदास जी, जिन्हें ऋषि वाल्मीकि का अवतार माना जाता है, ने रामायण और हनुमान चालीसा दोनों का रचना किया। इससे यह सिद्ध होता है कि इन्हें हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण लेखक के रूप में माना जा सकता है।
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