भगवान शिव को समर्पित बृहदीश्वर मंदिर (Brihadeshwar Mandir) दुनिया का अकेला ऐसा मंदिर है जो छेनी-हथौड़ी के युग में पूरा मंदिर ग्रेनाइट से बना है। इस मंदिर के अनेकों रहस्य हैं। सबसे बड़ा रहस्य यह है कि यह मंदिर बिना नींव के बना हुआ है। 13 मंजिल का यह मंदिर आज एक हजार साल से अधिक समय से यूं खड़ा है। इस दौरान आठ बार भूकम्प भी आ चुके हैं लेकिन मंदिर का बाल भी बांका नहीं हुआ है। इसे भगवान शिव (Bhagwan Shiv) की विशेष कृपा माना जा रहा है।
बृहदीश्वर मंदिर (Brihadeshwar Mandir) चोल शासक राजा राजराजा (Rajraja) के शासनकाल 1003-1010 के दौरान बना है। इस मंदिर के निर्माण के बारे में एक कथा यह प्रचलित है कि भगवान शिव के परमभक्त राजराजा (Rajraja) ने अनेकों मंदिर एवं धार्मिक स्थल बनवाये हैं। एक बार जब वे श्रीलंका के दौरे पर गये थे तब स्वप्न में भगवान (Bhagwan) ने इस मंदिर के निर्माण का आदेश दिया था। तब राजा ने यह मंदिर बनवाया।
बिना नींव के बने भारी भरकम बृहदीश्वर मंदिर से विशेषज्ञ भी हैरान (Even experts are surprised by Brihadeshwar temple the huge temple built without foundation)
बृहदीश्वर मंदिर (Brihadeshwar Temple) का वास्तुशिल्प जानकर आज भी पूरी दुनिया हैरान है। 1300 वर्षों से भूकम्प और तूफान की मार झेल कर खड़े इस बिना नींव के मंदिर को देखकर इंजीनियर, वैज्ञानिक सहित वास्तु विशेषज्ञ भी हैरान हैं।
बृहदीश्वर मंदिर विश्व का ऐसा अकेला मंदिर है, जो सम्पूर्ण ग्रेनाइट से बना हुआ है। इस मंदिर की खास बात यह है कि जिन ग्रेनाइट पत्थरों से यह मंदिर बना है, वे पत्थर मंदिर से 100 किलोमीटर के दायरे में मिलते ही नहीं हैं। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस मंदिर के निर्माण के लिए ग्रेनाइट पत्थर कहां से और कैसे लाये गये होंगे। इस मंदिर के निर्माण में 1.3 लाख टन वजन के ग्रेनाइट पत्थर लगे हैं। यह मंदिर 13 मंजिल का है और इस मंदिर की ऊंचाई 66 मीटर है। इस मंदिर के निर्माण की एक और खास बात यह है कि इसमें लगे ग्रेनाइट पत्थरों को किसी केमिकल या चूना-सीमेंट आदि से नहीं जोड़ा गया है बल्कि इन पत्थरों में खांचे बनाकर एकदूसरे में फिट किया गया है।
इस मंदिर से जुड़ी एक रहस्यमयी बात यह है कि इस मंदिर का गुम्बद एक विशाल पत्थर से बना हुआ है। इस पत्थर का वजन 88 टन है। इस बात को लेकर लोग हैरान है कि उस जमाने में क्रेन आदि आधुनिक उपकरण के बिना इतना विशाल पत्थर इतनी ऊंचाई पर किस तरह से पहुंचाया गया होगा।
इस पत्थर पर सोने का कलश रखा हुआ है। मंदिर के इस गुम्बद की खास बात यह भी है कि इस गुम्बद की परछाई नहीं दिखती है। धूप आने पर मंदिर की परछार्इं बिना गुम्बद के ही दिखाई पड़ती है।
बृहदीश्वर मंदिर की वास्तुकला की बात की जाये तो भवन निर्माण की समस्त कलाओं का संगम इस मंदिर में देखा जा सकता है। इस मंदिर में पाषाण, स्वर्ण, ताम्र में शिल्पांकन, नृत्य, संगीत, प्रतिमा विज्ञान, उत्कीर्णकला, चित्रांकन एवं आभूषण कला की कारीगरी दिखाई देती है। यह मंदिर अपने समय की विश्व की विशालतम रचनाओं में से एक माना जाता है।
बृहदीश्वर मंदिर धार्मिक महत्व (Religious significance of Brihadeshwar Temple)
बृहदीश्वर मंदिर में स्थापित भगवान शिव (Shiva Bhagwan) की विशाल प्रतिमा को देखकर ही इस मंदिर का नाम वृहदेश्वर रखा गया है। वैसे इस मंदिर का नाम निर्माण कराने वाले चोल राजा के नाम पर राजराजेश्वरम मंदिर (Rajarajeshwaram Temple) भी कहा जाता है तथा स्थानीय भाषा में इस मंदिर का नाम पेरुवुटैयार कोविल (Peruvutaiyar Kovil) कहा जाता है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग के ठीक ऊपर पांच फन वाला नाग अपने फन को इस तरह से फैलाये हुए है जैसे कि वह भगवान शिव (Bhagwan Shiva) को छाया देकर उनकी सुरक्षा कर रहा हो।
इस मंदिर की एक और विशेष बात यह है कि इस मंदिर में भगवान शिव के वाहन नंदी की विशालकाय प्रतिमा है। इसे एक भारी भरकम पत्थर को तराश कर बनाया गया है। मंदिर में प्रवेश करने पर ही एक चबूतरे पर 6 मीटर लम्बी, 2.5 मीटर चौड़ी और 3.5 मीटर ऊंची नंदी प्रतिमा स्थापित है। माना जाता है कि पूरे भारत में इस तरह की दूसरी विशाल नंदी प्रतिमा है।
शिवभक्तों के लिए बृहदीश्वर मंदिर जाने का समय पूरा वर्ष है। वैसे पर्यटन की दृष्टि से जाने वाले यात्रियों के लिए महाशिवरात्रि पर्व (Mahashivratri festival) सबसे उत्तम समय है। इस समय इस मंदिर की शोभा देखते ही बनती है। इस पर्व पर देश-विदेश से लाखों लोग यहां आते हैं।
बृहदीश्वर मंदिर वायु, रेल व सड़क यातायात से जुड़ा हुआ है। तमिलनाडु के तंजौर शहर में स्थित इस मंदिर में आने-जाने के लिए समीपवर्ती शहर तिरुचिरापल्ली में आना पड़ता है। तिरुचिरापल्ली में एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जहां से दुनिया भर की उड़ानें मिलतीं हैं। वहीं इसी शहर में बड़ा रेलवे स्टेशन है, जहां से भारतवर्ष के कोने-कोने के लिए ट्रेन की सुविधा मिलती है। तंजौर से भारत के मुख्य शहरों के लिए सीधे बसें आदि मिलतीं हैं।
बृहदीश्वर मंदिर से जुड़े रोचक प्रश्न और उत्तर
प्रश्न: बृहदीश्वर मंदिर का मुख्य रहस्य क्या है?
उत्तर: बृहदीश्वर मंदिर का मुख्य रहस्य यह है कि यह बिना नींव के बना हुआ है और 13 मंजिलों का है, जो 1000 से अधिक वर्षों से खड़ा है, लेकिन इसे कोई भूकंप नहीं गिरा सका।
प्रश्न: बृहदीश्वर मंदिर के निर्माण के पीछे का कथा क्या है?
उत्तर: बृहदीश्वर मंदिर के निर्माण का कथा यह है कि राजा राजराजा ने भगवान शिव के स्वप्न में आदेश पाया था और उन्होंने इसे बनवाया।
प्रश्न: बृहदीश्वर मंदिर में कौन-कौन सी कलाएं दिखाई जाती हैं?
उत्तर: बृहदीश्वर मंदिर में पाषाण, स्वर्ण, ताम्र, नृत्य, संगीत, प्रतिमा विज्ञान, उत्कीर्णकला, चित्रांकन, और आभूषण कला की कारीगरी दिखाई जाती है।
प्रश्न: बृहदीश्वर मंदिर का धार्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: बृहदीश्वर मंदिर में स्थापित भगवान शिव की प्रतिमा को देखकर ही इस मंदिर का नाम वृहदेश्वर रखा गया है। इसका महत्व महाशिवरात्रि पर्व पर अधिक होता है।
प्रश्न: बृहदीश्वर मंदिर का आने-जाने का सबसे उत्तम समय क्या है?
उत्तर: शिवभक्तों के लिए महाशिवरात्रि पर्व बृहदीश्वर मंदिर जाने का सबसे उत्तम समय होता है, लेकिन पूरा वर्ष भी इस मंदिर का दौरा किया जा सकता है।
प्रश्न: बृहदीश्वर मंदिर के नंदी मूर्ति का महत्व क्या है?
उत्तर: बृहदीश्वर मंदिर में स्थित विशाल नंदी मूर्ति एक ही पत्थर से बनाई गई है और यह भारत में सबसे बड़ी नंदी मूर्तियों में से एक मानी जाती है।
प्रश्न: बृहदीश्वर मंदिर के विशाल ग्रेनाइट गुंबद का निर्माण कैसे किया गया था?
उत्तर: बृहदीश्वर मंदिर के विशाल ग्रेनाइट गुंबद का निर्माण, जो लगभग 88 टन का है, आधुनिक मशीनरी के सहायता के बिना ही इसकी ऊँचाई पर उठाया गया था। इसका निर्माण कौशल का एक अद्भुत उदाहरण है जो प्राचीन भारतीय यांत्रिकता को प्रकट करता है।
प्रश्न: बृहदीश्वर मंदिर के डिज़ाइन में कौन-कौन से वास्तुशिल्प शैलियाँ प्रमुख हैं?
उत्तर: बृहदीश्वर मंदिर में ड्रविड़, चोल, और पल्लव शैलियों का मिश्रण देखा जा सकता है। इसके ऊँचाई में सुंदर विमान, जटिल नक्शे, और महानता प्राचीन भारतीय वास्तुकला के माहिरानुसार हैं।
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