एक बार जब हनुमान जी बाल अवस्था में सूर्य देव को फल समझकर खाने के लिए उनकी तरफ बढ़ने लगे तब इंद्र देव ने हनुमान जी को रोकने के लिए अपने वज्र से उन पर प्रहार किया था जिसके बाद व्रज के प्रहार से उनकी ठुड्डी टेड़ी हो गई थी। ठुड्डी को हनु कहा जाता है। तभी से उनका नाम हनुमान पड़ गया।
हनुमान जी ने कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को प्रदोषकाल में जन्म लिया था। इसी कारण से वह अंजनीसुत कहलाए।
बजरंगबली का जन्म वायु देव के आशीर्वाद से हुआ था और पवन देव उनके मानस पुत्र भी हैं। इसलिए हनुमान जी का एक नाम वायुपुत्र या पवन पुत्र भी है।
हनुमान जी अत्यंत बलशाली हैं। ऐसा माना जाता है कि बालि, रावण, भीम, एरावत, इंद्र आदि सभी का बल मिलकर भी हनुमान जी के बल से इनकी तुलना संभव नहीं। हनुमान जी के बल के कारण ही स्वर्ण लंका क्षण भर में राख का ढेर बन गई थी। इसी कारण से हनुमान जी को महाबली भी कहा जाता है।
हनुमान जी भगवान श्री राम के प्रिय माने जाते हैं। उनके रोम रोम में राम बसे हैं। राम काज में हनुमान जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा था। इसी कारण से उनका एक नाम रामेष्ट भी पड़ा।
हनुमान जी को अर्जुन का मित्र माना जाता है। इसके पीछे का तर्क यह है कि फाल्गुन का अर्थ होता है अर्जुन और सखा का अर्थ होता है मित्र। यानी कि वो जो अर्जुन के मित्र हैं। इसके अलावा, महाभारत और भगवद गीता दोनों ग्रंथों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि हनुमान जी ने महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन के रथ पर स्थापित होकर उनकी रक्षा की थी।
पिंगाक्ष का अर्थ होता है आंखों में हल्के लाल और पीले रंग की परत बनना। हनुमान जी के नेत्रों में भी ऐसी परत बनने का उल्लेख रामायण ग्रंथ में मिलता है। इसी कारण से हनुमान जी का एक नाम पिंगाक्ष भी है।
हनुमान जी का एक नाम अमितविक्रम भी है। अमित का अर्थ है अधिक और विक्रम का अर्थ होता है पराक्रमी। हनुमान जी भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं। ऐसे में उनके अंदर अथाह बल होना स्वाभाविक है। हनुमान जी ने अपने बल से ऐसे अचंभित कर देने वाले कार्य किये हैं जो देवताओं के बल के भी बाहर है।
उदधिक्रमण का मतलब होता है समुद्र को लांघने वाला। हनुमान जी ने माता सीता की खोज में समुद्र को लांघा था इसलिए उनका एक नाम उदधिक्रमण भी है।
इस नाम की रोचक कथा यह है कि जब समुद्र को लांघ हनुमान जी माता सीता के पास पहुंचे थे तब उन्होंने छोटा सा आकार धर पेड़ की आड़ में खुद को छिपा लिया था। उन्होंने माता सीता को श्री राम से बिछड़ने के शोक में द्रवित देखा। जब माता सीता के समीप कोई भी रावण के रक्षाओं में से नहीं था तब समय का लाभ उठाते हुए उन्होंने माता सीता को अपना परिचय देते हुए खुद को राम दूत बताया जिसके बाद माता सीता का सारा शोक दूर हो गया। इसी वजह से हनुमान जी सीताशोकविनाशन कहलाए।
रामायण के एक खंड में इस घटना का वर्णन मिलता है कि लक्ष्मण जी और मेघनाथ के युद्ध में जब मेघनाथ ने छल से लक्ष्मण जी को आहत कर मूर्छित कर दिया था तब हनुमान जी उनकी रक्षा हेतु संजीवनी बूटी लेकर आए थे जिससे लक्ष्मण जी की जान बचना संभव हो सकता था। इसलिए हनुमान जी को लक्ष्मण प्राणदाता के नाम से भी जाना जाता है।
दशग्रीव का मतलब होता है रावण और दर्पहा का अर्थ है घमंड तोड़ने वाला। ये तो समूचा जगत जानता है कि महाबली हनुमान ने किस प्रकार अनेकों बार रावण का अहंकार चूर चूर किया था। इसी कारण से उनका एक नाम दशग्रीवदर्पहा पड़ा।
प्रश्न: हनुमान जी के नामों का अर्थ क्या है?
उत्तर: हनुमान जी के विभिन्न नामों का अर्थ विभिन्न कथाओं और परंपराओं में उपलब्ध है। उनके नामों में उनकी कहानी, गुण, और महिमा का संकेत होता है।
प्रश्न: हनुमान जी के जन्म से जुड़ी रोचक कथाएँ?
उत्तर: हनुमान जी के जन्म से जुड़ी कई प्रसिद्ध कथाएं हैं, जैसे कि उनके अंजनी मां की तपस्या, इंद्रजीत के अपराध का परिणाम, और उनके अनेक नामों के प्राप्ति की कथा।
प्रश्न: हनुमान जी के रूपों का महत्व क्या है?
उत्तर: हनुमान जी के विभिन्न रूपों का महत्व विशेष रूप से भक्तों के जीवन में उनकी शक्ति और कृपा को अनुभव करने में है। उनके प्रत्येक रूप की खासियतें और महिमा भक्तों को प्रेरित करती हैं।
प्रश्न: हनुमान जी के नामों का पूजा-अर्चना में क्या महत्व है?
उत्तर: हनुमान जी के नामों का पूजा-अर्चना में विशेष महत्व है क्योंकि इन नामों में उनकी गुणों और शक्तियों का संजीवनी शक्ति संदेश छिपा होता है। भक्त इन नामों का जाप करके उनके आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं।
प्रश्न: हनुमान जी के नामों का जाप कैसे किया जाता है?
उत्तर: हनुमान जी के नामों का जाप करने के लिए शुद्धता, निष्काम भावना, और आदर्श वातावरण की आवश्यकता होती है। भक्तों को अनुकरण की भावना के साथ नामों का जाप करना चाहिए, जो उन्हें आत्मिक शक्ति, धैर्य, और संजीवनी शक्ति प्रदान करता है।
प्रश्न: हनुमान जी के नामों का उच्चारण करने का सही समय क्या है?
उत्तर: हनुमान जी के नामों का उच्चारण किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन सबसे शुभ समय उनकी पूजा के लिए मंगलवार का दिन होता है। भक्तों को प्रातः और सायंकाल में नामों का जाप करना चाहिए, जो उन्हें आनंद और शांति प्रदान करता है।
प्रश्न: हनुमान जी के नामों का उच्चारण करने से क्या लाभ होता है?
उत्तर: हनुमान जी के नामों का उच्चारण करने से आत्मिक शक्ति मिलती है, भय की स्थितियों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सामंजस्य और सफलता की प्राप्ति होती है। उनके नामों का जाप भक्तों को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाता है।
प्रश्न: क्या हनुमान जी के नामों का जाप करने से ग्रहों के दोषों का निवारण होता है?
उत्तर: हां, हनुमान जी के नामों का जाप करने से ग्रहों के दोषों का प्रभाव कम होता है और भक्तों को ग्रहों के अनुकूल प्रभाव मिलते हैं। उनके नामों का उच्चारण ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर करने में मदद करता है।
प्रश्न: क्या हनुमान जी के नामों का जाप करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है?
उत्तर: जी हां, हनुमान जी के नामों का जाप करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। इससे भक्तों का रोगनिरोधक प्रणाली मजबूत होती है और वे तनाव और चिंता से मुक्त होते हैं।
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