भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम ( Bhagwan Parshuram) के जन्म-तिथि को परशुराम जयंती (Parshuram Jayanti) के रूप में मनाया जाता है। परशुराम जयंती हिन्दुओं का त्योहार है। भगवान परशुराम का जन्म (Bhagwan Parshuram ka Janam) त्रेता युग अर्थात रामायणकाल में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया (तीसरे दिन) (अँग्रेज़ी कैलेंडर के अनुसार अप्रैल-मई का महीना) को एक ब्राह्मण के घर हुआ था। इसलिए प्रति वर्ष यह त्योहार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया (तीसरे दिन) को मनाया जाता है। इस दिन को अक्षय तृतीया के नाम से भी जाना जाता है।
वर्ष २०२३ में हिन्दू पञ्चाङ्ग के अनुसार परशुराम जयंती दिनांक २२ अप्रैल २०२३, शनिवार को है। प्रति वर्ष इसी दिन हिन्दू पर्व अक्षय तृतीया (Akshay Tritiya) भी मनाया जाता है।
इस वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का आरंभ दिनांक २२ अप्रैल २०२३, शनिवार की सुबह ०७ बजकर ४९ मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन दिनांक २३ अप्रैल २०२३, रविवार की सुबह ०७ बजकर ४७ मिनट पर होगा।
१) प्रातः सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से मुक्त हो जाएँ।
२) नए और पवित्र वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) को चन्दन का तिलक लगाकर विधि-विधान से पूजा करें।
३) श्रीहरि के चरणों में तुलसी का पत्ता अवश्य अर्पित करें।
४) इसके बाद श्रीहरि के रूप में भगवान परशुराम की आरती करें।
भगवान परशुराम की आरती निम्न बोल गा कर करें:
शौर्य तेज बल-बुद्धि धाम की।।
रेणुकासुत जमदग्नि के नंदन।
कौशलेश पूजित भृगु चंदन ।।
अज अनंत प्रभु पूर्णकाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की।।१।।
नारायण अवतार सुहावन।
प्रगट भए महि भार उतारन।।
क्रोध कुंज भव भय विराम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की।।२।।
परशु चाप शर कर में राजे।
ब्रह्मसूत्र गल माल विराजे।।
मंगलमय शुभ छबि ललाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की।।३।।
जननी प्रिय पितु आज्ञाकारी।
दुष्ट दलन संतन हितकारी।।
ज्ञान पुंज जग कृत प्रणाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की।।४।।
परशुराम वल्लभ यश गावे।
श्रद्घायुत प्रभु पद शिर नावे।।
छहहिं चरण रति अष्ट याम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की।।५।।
।।इति परशुराम जी की आरती समाप्त।।
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