जैसा कि हम सब जानते हैं कि कलयुग में श्रीरामचरित मानस (Shri Ramcharitmanas) का ज्ञान हम सभी को गोस्वामी तुलसीदास जी के माध्यम से ही हुआ है। दरअसल गोस्वामी तुलसीदास जी ने जिस दिन श्रीरामचरित मानस (Shri Ramcharit Manas) की रचना का आरम्भ किया था उस दिन रामनवमी थी।
त्रेता युग में श्रीराम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को हुआ था जिस दिन को आज हम सभी रामनवमी (RamNavami) के नाम से जानते हैं। जिस दिन कलयुग में श्रीरामचरित मानस की रचना का आरम्भ हुआ था उस दिन भी बिल्कुल त्रेता युग में श्रीराम-जन्म के दिन जैसा योग बन रहा था और उस दिन भी चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी थी यानि कि रामनवमी।
त्रेता युग में इस दिन नारायण (Bhagwan Narayan) के अवतार श्रीराम (Shri Ram) ने जन्म लिया था और कलयुग में इस दिन श्रीहरी के अवतार ग्रन्थ के रूप में जन्म लेने वाले थे। हम हिंदुओं को इस बात की जानकारी अवश्य रूप से होनी चाहिए कि यह दिन हमारे लिए विशेष महत्व क्यों रखता है।
त्रेता युग में भगवान नारायण के अवतार श्रीराम (Shriram) ने चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को जन्म लिया था। धरती पर नारायण के अवतार का जन्म लेने का उद्देश्य था पृथ्वी को रावण के अत्याचारों से बचाना, दुष्टों का नाश करना और संसार में धर्म की स्थापना करना। यदि हम विचार करें तो इनमें से सबसे बड़ा कारण था रावण से संसार को मुक्त करना इस आधार पर हम समझ सकते हैं कि रामनवमी का संबंध रावण (Ravan) से भी जुड़ा है।
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