Saturday, April 19

चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri)

चैत्र नवरात्र

चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri):

वर्ष 2025 में चैत्र नवरात्रि का पर्व 30 मार्च से 7 अप्रैल तक मनाया जाएगा । 

प्रतिपदा तिथि का समय:

  • प्रारंभ: 29 मार्च 2025 को शाम 4:27 बजे
  • समाप्ति: 30 मार्च 2025 को दोपहर 12:49 बजे

कलश स्थापना (घटस्थापना) मुहूर्त:

  • तिथि: 30 मार्च 2025
  • शुभ समय: सुबह 6:23 बजे से 7:32 बजे तक

इस अवधि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाएगी, जो इस प्रकार हैं:

  1. 30 मार्च: मां शैलपुत्री
  2. 31 मार्च: मां ब्रह्मचारिणी
  3. 1 अप्रैल: मां चंद्रघंटा
  4. 2 अप्रैल: मां कूष्मांडा
  5. 3 अप्रैल: मां स्कंदमाता
  6. 4 अप्रैल: मां कात्यायनी
  7. 5 अप्रैल: मां कालरात्रि
  8. 6 अप्रैल: मां महागौरी
  9. 7 अप्रैल: मां सिद्धिदात्री

इस वर्ष, मां दुर्गा का आगमन हाथी पर होगा, जो समृद्धि और शुभता का प्रतीक माना जाता है । 

चैत्र नवरात्रि के दौरान भक्तजन व्रत रखते हैं, मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं और विशेष अनुष्ठानों का पालन करते हैं। यह समय आत्मशुद्धि, साधना और आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिषों के अनुसार इन शुभ योगों में पूजा करने से भक्तों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। माता आदिशक्ति (Mata Adishakti) इस बार अपने भक्तों के यहाँ नाव पर सवार होकर आएँगी और पर्व की समाप्ति पर पालकी में देवलोक लौट जाएँगी। नवरात्र के इन नौ दिनों में भक्त-जन माँ आदिशक्ति के नौ रूपों की विधि-विधान से पूजा करते हैं, अपनी स्वेच्छानुसार व्रत रखते हैं, अष्टमी और नवमी को कन्याओं को माता-स्वरूप मानकर, उनकी पूजा कर उन्हें भोजन कराते हैं। कन्याओं को भोजन कराने से माता की कृपा-दृष्टि भक्तों पर बनी रहती है। 

घटस्थापना मुहूर्त और विधि (Chaitra Navratri 2025 Ghatsthapana Muhurt):

वर्ष 2025 में चैत्र नवरात्रि घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 30 मार्च 2025 को होगा। यह दिन मां दुर्गा की उपासना और घटस्थापना के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।

घटस्थापना मुहूर्त:

  • तारीख: 30 मार्च 2025
  • समय: सुबह 6:23 बजे से 7:32 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:50 बजे से दोपहर 12:40 बजे तक (वैकल्पिक)

घटस्थापना विधि:

  1. साफ-सफाई: सबसे पहले पूजा स्थल और घर को साफ करें।
  2. पवित्र स्थान का चयन: पूजा के लिए उत्तर-पूर्व दिशा में पवित्र स्थान चुनें।
  3. कलश की स्थापना: मिट्टी की वेदी पर जौ बोएं और उसके ऊपर तांबे या मिट्टी के कलश में गंगाजल भरें।
    • कलश के ऊपरी हिस्से पर मौली बांधें।
    • उसमें सुपारी, सिक्का, और अक्षत डालें।
  4. नारियल स्थापना: कलश के ऊपर लाल कपड़े में लिपटा हुआ नारियल रखें।
  5. मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर: घट के पास मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  6. दीप जलाना: एक दीया जलाएं और घी या तेल का उपयोग करें।
  7. पूजा सामग्री: फूल, कपूर, धूप, और दुर्गा सप्तशती के मंत्रों का पाठ करें।
  8. आह्वान: मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का ध्यान करें और पूजा आरंभ करें।

विशेष महत्व:

घटस्थापना नवरात्रि का पहला और सबसे महत्वपूर्ण चरण है। इसे शुभ मुहूर्त में करना अनिवार्य माना जाता है, क्योंकि यह पूरे नवरात्रि के अनुष्ठान की सफलता सुनिश्चित करता है।

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