१) अक्षय तृतीया के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से मुक्त हो जाएँ।
२) पीले और पवित्र वस्त्र धारण कर घर में पूजास्थल को स्वच्छ करें।
३) पूजास्थल पर गंगाजल छिड़क कर चौकी लगाएँ। चौकी पर भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) और माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) की प्रतिमा सजाएँ। प्रतिमा के समक्ष धूप-दीप जलाएँ।
४) भगवान विष्णु को पीले चन्दन का तिलक लगाएँ और चरणों में तुलसी का पत्ता अवश्य अर्पित करें।
५) माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) की की मांग में लाल सिंदूर अवश्य लगाएँ।
६) अब भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को पीले रंग के पदार्थ जैसे मिठाई, हलुआ या खीर का भोग लगाएँ।
७) पूजा के समय विष्णु चालीसा (Vishnu Chalisa) और लक्ष्मी चालीसा (Lakshmi Chalisa) का पाठ करें।
८) इसके बाद भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu ki Aarti) और माता लक्ष्मी (Maata Lakshmi ki Aarti) की साथ में आरती करें।
९) आरती के बाद घर का कोई एक सदस्य सभी को आरती फिर उसके बाद प्रसाद वितरित करें।
अक्षय तृतीया 30 अप्रैल 2025, बुधवार के दिन मनाई जाएगी।
अक्षय तृतीया पूजा विधि से जुड़े प्रश्न और उत्तर
प्रश्न - अक्षय तृतीया का महत्व क्या है?
उत्तर - अक्षय तृतीया का दिन हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन को विवाह, गृह-प्रवेश, और नए व्यवसाय की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
प्रश्न - अक्षय तृतीया की पूजा विधि क्या है?
उत्तर - अक्षय तृतीया की पूजा विधि में सूर्योदय से पहले उठकर स्नान, पीले वस्त्र धारण करना, पूजास्थल को स्वच्छ करना, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा की पूजा करना, और पीले रंग के पदार्थों का भोग लगाना शामिल है।
उत्तर - अक्षय तृतीया पर विवाह, गृह-प्रवेश, नया व्यवसाय शुरू करना, सोना, वाहन और नया घर खरीदना, और जौ का दान या खरीददारी करना शुभ माना जाता है।
प्रश्न - अक्षय तृतीया पर जौ का दान क्यों किया जाता है?
उत्तर - शास्त्रों के अनुसार, अक्षय तृतीया पर जौ का दान करना सोने के दान के समान शुभ फलदायक होता है। इसे करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
पूरब पश्चिम विशेष
रामनवमी की पूजा विधि (Ramnavami Puja Vidhi) | महाशिवरात्रि पूजा (Mahashivratri Puja)