अक्षय तृतीया जिसे आखा तीज (Akha Teej) के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू समुदायों के लिए अत्यधिक शुभ और पवित्र दिन है। यह वैशाख मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को पड़ता है। रोहिणी नक्षत्र के दिन बुधवार के साथ पड़ने वाली अक्षय तृतीया (Akshay Tritya) को बहुत शुभ माना जाता है। अक्षय (अक्षय) शब्द का अर्थ है कभी कम न होने वाला। इसलिए इस दिन कोई भी जप, यज्ञ, पितृ-तर्पण, दान-पुण्य करने का लाभ कभी कम नहीं होता और व्यक्ति के पास हमेशा बना रहता है।
ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया सौभाग्य और सफलता लाती है। ज्यादातर लोग इस दिन सोना खरीदते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) पर सोना खरीदने से आने वाले भविष्य में समृद्धि और अधिक धन आता है। अक्षय दिवस (Akshay Divas) होने के कारण यह माना जाता है कि इस दिन खरीदा गया सोना कभी कम नहीं होगा और बढ़ता या बढ़ता रहेगा।
अक्षय तृतीया दिवस पर भगवान विष्णु (Bhagwan Shri Hari Vishnu) का शासन है जो हिंदू त्रिदेव में संरक्षक भगवान हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन त्रेता युग की शुरुआत हुई थी। आमतौर पर अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती, भगवान विष्णु के छठे अवतार की जयंती, एक ही दिन पड़ती है, लेकिन तृतीया तिथि के घूरने के समय के आधार पर परशुराम जयंती (ParshuRam Jayanti) अक्षय तृतीया के एक दिन पहले पड़ सकती है।
वैदिक ज्योतिषी भी अक्षय तृतीया को सभी अशुभ प्रभावों से मुक्त एक शुभ दिन मानते हैं। हिंदू चुनावी ज्योतिष के अनुसार तीन चंद्र दिन, युगादि, अक्षय तृतीया और विजय दशमी को किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने या करने के लिए किसी मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि ये तीन दिन सभी हानिकारक प्रभावों से मुक्त होते हैं।
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को ही अक्षय तृतीया (Akshay Tritiya) के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म में हर वर्ष इस दिन को पर्व की तरह मनाया जाता है। यदि इसके अर्थ पर दृष्टिकोण डाला जाए तो, अक्षय का अर्थ होता है जिसका कभी क्षय ना हो या जिसका कभी नाश ना हो और तृतीया का अर्थ है तीसरा दिन अर्थात् वह तीसरा दिन जिस दिन किए गए कार्य का फल कभी नष्ट नहीं होता। बुरे कर्म करने से इस दिन बुरे फलों की निश्चित ही अधिक गुणा प्राप्ति होती है, इसलिए इस दिन सभी कार्य शुभ ही किए जाते हैं।
अक्षय तृतीया को बहुत से स्थानों पर 'अखा तीज' भी कहा जाता है। अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा (Bhagwan Vishu, Mata Lakshmi ki Puja) की जाती है। ज्योतिष शास्त्रज्ञों के अनुसार इस दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए पञ्चाङ्ग देखने की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि इस दिन हर क्षण शुभ होता है। मांगलिक कार्यों को करने और किसी वस्तु की खरीददारी के लिए यह दिन बहुत ही महत्त्व रखता है।
मान्यता है कि, अक्षय तृतीया को गरीबों को भोजन कराने से, क्षमतानुसार दान करने से घर से क्लेश और दरिद्रता का नाश होता है और साथ ही इस दिन आभूषणों की खरीददारी से अक्षय धन की भी प्राप्ति होती है।
हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया से जुड़ी बहुत सी कथाएँ प्रचलित हैं, जो कि इस प्रकार हैं:
१) हिन्दू ग्रंथों में अक्षय तृतीया से जुड़ी बहुत सी पौराणिक कथाएँ हैं। पुराणों के अनुसार धर्म नाम का एक बनिया, शाकल नाम के जगह पर रहता था जो कि धार्मिक व्यक्ति था। धर्म बनिया बहुत ही निर्धन था, पर वह दयालु और सत्य का पुजारी था। निर्धन होने के कारण वह प्रत्येक अक्षय तृतीया को गंगा तट पर पितरों का विधि-विधान से तर्पण करता था और ब्राह्मणों में चावल, चीनी, सत्तू आदि को पात्र में भरकर, वस्त्र और दक्षिणा संकल्प करके अवश्य वितरित करता था। इन सभी उपायों से उसकी समस्याएँ तो समाप्त नहीं हुई पर कुछ दिनों बाद उस बनिया की मृत्यु हो गई। मृत्यु के पश्चात् धर्म बनिया का अगला जन्म कुशावती नगरी के एक धनी और संपन्न क्षत्रिय परिवार में हुआ। अक्षय तृतीया पर किए गए शुभ कर्मों के कारण ही इस जन्म में वह आगे चलकर रूपवान, गुणवान, धर्मपरायण और परोपकारी राजा बना। अपने इस जीवन के राज्यकाल में भी उसने ब्राह्मणों को अन्न, भूमि, गाय, स्वर्ण का दान करके बहुत से पुण्य किए। अपने पूर्वजन्म में किए हुए शुभ कर्मों के फल उसे अक्षय फल के रूप में प्राप्त हुआ। इसी प्रकार अक्षय तृतीया के दिन जो लोग शुभ कर्म करते हैं, उनके उन शुभ कर्मों का क्षय कभी नहीं होता और उनके द्वारा किए गए सत्कर्मों का फल उन्हें अक्षय फल के रूप में मिलता है।
२) अक्षय तृतीया के दिन ही अन्न की देवी माता अन्नपूर्णा (Devi Maa Annapurna) का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन माता अन्नपूर्णा की भी पूजा की जाती है। इस दिन माता अन्नपूर्णा की पूजा करने से घर में अन्न के पात्र कभी खाली नहीं रहते।
३) एक अन्य कथा के अनुसार इसी दिन निर्धन ब्राह्मण सुदामा (Sudama) अपने मित्र श्रीकृष्ण (Shri Krishna) से मिलने गए थे। जब ब्राह्मण सुदामा ने अपने मित्र श्रीकृष्ण को सूखे चावल भेंट किए, तब श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण सुदामा को दो लोकों का स्वामी बना दिया। इस दिन भगवान विष्णु को चावल चढ़ाने से धन में वृद्धि होती है।
४) पांडवों की पत्नी द्रौपदी को भी अक्षय तृतीया के दिन ही श्रीविष्णु की पूजा से अक्षय पात्र की प्राप्ति हुई थी।
५) पुराणों के अनुसार देवी गंगा (Devi Ganga) का भी अवतरण इसी दिन धरती पर हुआ था।
६) मान्यता है कि, इसी दिन भगवान विष्णु ने भी भृगु वंश (Bhirgu Vansh) में अवतार लिया था।
शास्त्रों में अक्षय तृतीया के दिन दान का भी महत्त्व बताया गया है। अक्षय तृतीया के दिन जिन वस्तुओं के दान से होती है शुभ फलों की प्राप्ति वह इस प्रकार हैं:
१) जल का कलश करें दान:
अक्षय तृतीया के दिन जल के कलश में स्वच्छ जल भरकर इसमें थोड़ा सा गंगाजल मिलाएँ, तत्पश्चात् इस कलश को किसी निर्धन ब्राह्मण को या किसी ऐसे व्यक्ति को दान करें जिसे इसकी आवश्यकता हो। ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति अवश्य होती है।
२) जौ का करें दान:
मान्यता है कि, अक्षय तृतीया के दिन जौ दान सोने के दान के समान माना जाता है। इस दिन जौ के दान से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
३) अन्न का करें दान:
हिंदू ग्रंथों में इस बात का वर्णन मिलता है कि, अक्षय तृतीया के दिन अन्न का दान सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन भूखे को भोजन कराने से और जिन्हें अन्न की आवश्यकता है उन्हें अन्न का दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि की कमी कभी नहीं होती है।
४) पुस्तकें करें दान:
अक्षय तृतीया के दिन पुस्तकों या शिक्षा से जुड़ें वस्तुओं का दान भी शुभ माना जाता है, किन्तु पुस्तकों का दान भी केवल उन्हें करें जिन्हें उस विषय में रूचि हो। आप धार्मिक विषयों में रूचि रखनेवाले लोगों को इस दिन धार्मिक पुस्तक दान कर सकते हैं।
अक्षय तृतीया 2024 (Akshay Tritya 2024)
वर्ष 2024 में हिन्दू पञ्चाङ्ग के अनुसार अक्षय तृतीया (Akshay Tritiya 2024), दिनांक 10 मई 2024, शुक्रवार को है।
अक्षय तृतीया से जुड़े प्रश्न और उत्तर
प्रश्न: अक्षय तृतीया कब है?
उत्तर: अक्षय तृतीया 2024 में दिनांक 10 मई 2024 को है। यह दिन शुक्रवार को पड़ेगा।
प्रश्न: अक्षय तृतीया क्या है?
उत्तर: अक्षय तृतीया, जिसे आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू समुदायों के लिए एक प्रमुख पर्व है। यह वैशाख मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को पड़ता है। अक्षय शब्द का अर्थ होता है 'कभी कम न होने वाला', इसलिए इस दिन कोई भी कर्म या दान कभी नष्ट नहीं होता है।
प्रश्न: अक्षय तृतीया के महत्व क्या है?
उत्तर: अक्षय तृतीया को सौभाग्य और सफलता का प्रतीक माना जाता है। इस दिन किए गए कर्मों का फल कभी नष्ट नहीं होता और धन की वृद्धि होती है। इस दिन को बहुत से लोग सोने की खरीदारी करते हैं क्योंकि इसे समृद्धि और धन का प्रतीक माना जाता है।
प्रश्न: अक्षय तृतीया के दिन किसे पूजा जाता है?
उत्तर: अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने के लिए मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि इस दिन हर क्षण शुभ होता है।
प्रश्न: अक्षय तृतीया पर क्या दान करना चाहिए?
उत्तर: अक्षय तृतीया पर जल, जौ, अन्न, और पुस्तकें का दान करना शुभ माना जाता है। इन वस्तुओं के दान से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।