तिरुपति वेंकटेश्वर स्वामी वारी मंदिर

Tirupati Venkateshwara Swamy vaari temple

तिरुपति वेंकटेश्वर स्वामी वारी मंदिर

(Tirupati venkateswara Swamy vaari temple)

तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर (Tirupati Venkateswara Mandir) को तिरुमला मंदिर, तिरुपति मंदिर (Tirumala Temple, Tirupati Temple), तिरुपति बालाजी मंदिर (Tirupati Balaji Mandir) या तिरुपति वेंकटेश्वर स्वामी वारी मंदिर (Tirupati Venkateswara Swamy Vaari Mandir) आदि कई नामों से जाना जाता है।

तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर - आस्था का वो द्वार है जिसे कलयुग का वैकुंठ (Kalyug ka vaikuntha) भी कहा जाता है।

तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर- श्री वेंकेटेश्वर भगवान (Venkateswara Bhagwan) की देवभूमि है। उनके मंदिर की तरह ही श्री वेंकेटेश्वर भगवान के भी कई नाम है जैसे - श्रीनिवासा, बालाजी, गोविंदा, वेंकेटा और वेंकटचलपति आदि।

तिरूपति बालाजी (Tirupati Balaji) भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। तिरुमाला तिरुपति (Tirumala Tirupati) तिरुमला की पहाड़ियों पर बना वो धाम है जहां भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) श्री वेंकटेश्वर (Shri Venkateswara) रुप में विराजमान है। 

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (Tirumala Tirupati Devasthanam) में हर साल लाखों भक्त प्रभु के दर्शन करते है। उनकी लीलाएं देखते है और प्रभु के अस्तित्व को महसूस करते है। ऐसी मान्यता है कि टीटीडी (TTD) आने के बाद व्यक्ति जन्म और मृत्यु के बंधन से छूट जाता है। बैकुंठ एकादशी के दिन प्रभु दर्शन का बहुत अधिक महत्व है।

तिरुपति बालाजी (Tirupati Balaji) की उत्पत्ति (Origin of Tirupati Balaji)

पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन (Sagar Manthan) के समय निकले 14 रत्नों में से एक रत्न माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) थी। देवी लक्ष्मी के अद्भुत सौंदर्य से आकर्षित होकर उस समय सभी देवता और दानव उनसे विवाह करना चाहते थे। लेकिन माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को (Bhagwan Vishnu) अपना वर चुना और उनके गले में वरमाला पहना दी तब भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी को अपने वक्ष स्थल में स्थान दिया और तिरुपति बालाजी (Tirupati Balaji) में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का यहीं रूप मौजूद है।

स्थान (Location)

तिरुपति देवस्थानम (Tirupati Devasthanam)… आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुपति पहाड़ (Tirupati Parvat) की सातवीं चोटी वेंकटचला पर स्थित है। श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर तिरुपति (Tirupati) से 18 किलोमीटर दूर तिरुमाला पहाड़ी पर स्थित है। इस पहाड़ की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 3200 फीट है। यह मंदिर श्री स्वामी पुष्करिणी नदी के दक्षिण में स्थित हैं। 

श्री वेंकेटेश्वर (Shri Venkateswara) भगवान का अदभुत रुप (Wonderful form of Shri Venkateswara)

वेंकेटेश्वर रूप में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ विराजमान है…एक रूप में दोनों ही शामिल है। वेंकेटेश्वर रुप में आप भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के एक साथ दर्शन करते है। तिरूपति बालाजी (Tirupati Balaji) की पोशाक भी उसी रुप के अनुसार है। बालाजी को नीचे धोती और उपर साड़ी पहनाई जाती है।

तिरूपति (Tirupati) में श्री वेंकटेश्वर (shri Venkateshwara) भगवान की 8 फुट ऊंची मूर्ति है। जिसे अनोखी पोशाक, अतुल्य स्वर्ण आभूषणों, बेशकीमती रत्नों और हीरे मोतियों और फूलों से सजाया जाता है। 

तिरूपति बालाजी (Tirupati Balaji) की महत्ता (Magnificence of Tirupati Balaji)

तिरूपति बालाजी (Tirupati Balaji) के मंदिर में भक्त भगवान विष्णु की अनोखी लीलाओं के दर्शन करते है। प्रभु अपने भक्तो को अनेकों चमत्कार दिखाते है।

प्रतिमा की स्थिति  (Position of The Statue)

जैसे ही आप मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करेंगे तो  लगेगा कि श्री वेंकेटेश्वर भगवान (Shri Venkateswara Bhagwan) की प्रतिमा गर्भ गृह के बीचों बीच स्थित है। लेकिन जैसे ही आप गर्भगृह से बाहर आएंगे तो आपको लगेगा कि भगवान की प्रतिमा दाई ओर स्थित है।

प्रतिमा पर पसीना  (Sweat on The Statue)

भगवान विष्णु की प्रतिमा एकदम जीवंत रूप में मौजूद है। भगवान की प्रतिमा को पसीना भी आता है। भगवान विष्णु की प्रतिमा पर पसीने की बूंदे दिखाई देती है इसलिए मंदिर का तापमान भी कम ही रखा जाता है।

विष्णु जी में माता लक्ष्मी के दर्शन (Maa Laxmi in Lord Vishnu)

श्री वेंकटेश्वर स्वामी को हर गुरुवार के दिन स्नान कराने के बाद चंदन का लेप लगाया जाता है और जब यह लेप उतारा जाता है तो भगवान विष्णु के वक्षस्थल में माता लक्ष्मी की प्रतिमा दिखाई देती है।

अखंड ज्योत (Akhand Jyot)

इस मंदिर में आस्था का दिया दिन-रात जलता रहता है। 

मंदिर के प्रांगण में एक ऐसा दीपक है जिसमें ना कोई घी डालता है और ना ही कोई तेल लेकिन फिर भी आस्था की यह ज्योत हर समय प्रज्वलित रहती है। आजतक कोई नहीं जानता कि सबसे पहले यह दिया कब और किसने जलाया था। 

पचाई कपूर (Pachai Kapoora)

एक ऐसा कपूर जिसे जिस पत्थर पर लगाया जाए उस में दरार पड़ जाती है…लेकिन चमत्कार देखिए, तिरुपति बालाजी की मूरत पर इस कपूर का कोई असर नहीं पड़ता।

वेंकेटेश्वर स्वामी के असली केश  (Real hairs on the Statue of Shri Venkateswara)

भगवान विष्णु का चमत्कार ही है कि प्रभु की प्रतिमा पर लगे बाल असली है। प्रभु के बाल बहुत ही नरम और मुलायम है और ना ही कभी उलझते है। 

लहरों की अद्भुत ध्वनि (Continuous sound of waves)

अगर ध्यान से कान लगाकर सुना जाए तो प्रतिमा से हर पल समुद्र की लहरों की ध्वनि सुनाई देती है और इन लहरों का ही असर है कि प्रभु की पीठ पर हमेशा गीलापन रहता है।

प्रभु के स्पर्श वाली अनमोल छड़ी (Precious stick fortunate with the touch of lord Vishnu)

मंदिर के दाई तरफ़ एक ऐसी छड़ी रखी रहती है जिसे प्रभु को छूने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। ऐसा माना जाता है कि इस छड़ी से कभी प्रभु की पिटाई हुई थी और उन्हें ठोड़ी में चोट भी लगी थी। इस चोट पर आज भी लेप लगाया जाता है। 

तिरुपति मंदिर का प्रसाद (Tirupati's Prasad)

यहां प्रसाद के रूप में मिलने वाला लड्डू बहुत ही खास होता है और केवल इस मंदिर में ही मिलता है। ऐसा लड्डू यहां के अलावा और कहीं नहीं मिलता। 

इसके अलावा यहां दही चावल, इमली-चावल, वाडा और चक्केरा-पोंगाली (मीठे पोंगल), मिर्याला- पोंगाली, अपम, पायसम, जिलेबी, मुरुकू, डोसा, सीरा (केसरी), मल्होरा आदि प्रसाद के रूप में मिलता है।

श्री वेंकेटेश्वरा (Shri Venkateswara) का पवित्र गांव (Holy village of shri Venkateswara)

वेंकेटेश्वर स्वामी मंदिर में प्रभु को अर्पित की जाने वाले सभी सामग्री जैसे फल-फूल, दूध-दही, घी-मक्खन आदि सब कुछ केवल इस गांव से आते है। यह गांव मंदिर से तेईस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस गांव के लोग बहुत ही अनुशासन, संयम और नियम से रहते है। इस गांव में किसी भी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश निषेध है।

टीटीडी तिरूपति (TTD Tirupati) की गिनती भारत के सबसे अमीर मंदिरों में होती है जहां प्रभु अपने भक्तों की सारी मुराद पूरी करते है और भक्त अपना सर्वस्व प्रभु पर न्यौछावर करने के लिए तैयार रहते है। तिरूपति (Tirupati) मंदिर में रोजाना लगभग करोड़ों रुपये का दान आता है। इस मंदिर में बाल दान करने का भी बहुत महत्त्व है।

2.2 एकड़ में फैला तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्पकला का अदभूत उदाहरण है। इस मंदिर का निर्माण पारंपरिक द्रविड़ियन वास्तुशैली में किया गया है।

दर्शन के लिए सर्वोत्तम समय (Best Time to Visit)

अक्टूबर से मार्च।

तिरुपति बालाजी के दर्शन के लिए यह समय सबसे उपयुक्त है क्योंकि इस समय यहां मौसम बहुत अच्छा होता है इस समय गर्मी ज्यादा नहीं होती और सर्दी तो वहां होती ही नहीं है।

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