भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) जब चार धामों पर बसे तो सबसे पहले बद्रीनाथ (Badrinath) पहुंचे और स्नान किया, फिर गुजरात के द्वारकाधीश (Dwarkadhish) में वस्त्र बदले, इसके बाद जगन्नाथपुरी (Jagannath Puri) में अन्न ग्रहण किया और दक्षिण में रामेश्वरम (Rameshwaram) में विश्राम किया।
इसलिए जगन्नाथ पुरी (Jagannath Puri) को भगवान विष्णु के चार धामों में से एक माना जाता है।
द्वापर युग से भगवान कृष्ण (Bhagwan Krishna) पुरी (Puri) के जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) में विराजमान है।
पुरी जगन्नाथ मंदिर (Puri Jagannath) विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण (Shri Krishan) को समर्पित है। यहां भगवान कृष्ण (Lord Krishna) अपने बड़े भाई बलराम (Balrama) और बहन सुभद्रा (Subhadra) के साथ विराजमान है। हिंदू पुराणों में इसे धरती का वैकुंठ (Dharti ka Vaikunth) कहा गया है।
ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण (Bhagwan Shree Krishna) के अंतिम संस्कार के बाद भी उनका हृदय जिंदा इंसान की तरह धड़कता रहा जो आज भी भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) की प्रतिमा में मौजूद है।
श्री जगन्नाथ मंदिर (Shri Jagannath Temple) ओडिशा राज्य के पुरी (Puri) शहर में समुद्र किनारे स्थित है।
जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) दुनिया का सबसे भव्य और ऊंचा मंदिर है। यह लगभग 4 लाख वर्गफुट में फैला हुआ है। इस भव्य मंदिर की ऊंचाई लगभग 214 फुट है।
इसका निर्माण 11 वीं शताब्दी में राजा इंद्रद्युम्न ने करवाया था।
श्री जगन्नाथ मंदिर (Shri Jagannath Temple) की चारों दिशाओं में चार प्रवेश द्वार है, जो क्रमशः पूर्व मे सिंह द्वार (मोक्ष द्वार), पश्चिम में व्याघ्र द्वार (धर्म द्वार), उत्तर मे हाथी द्वार (कर्म द्वार) और दक्षिण में अश्व द्वार (काम द्वार) माने जाते है।
प्रतिमा अधूरी, शक्ति पूरी
जी हां…यहां प्रभु नीलमाधव रुप (Neel Madhav Roop) में विराजमान है लेकिन मुर्तियां अधूरी है। तीनों मूर्तियों का निर्माण विश्वकर्मा जी (Bhagwan Vishwakarma) ने अकेले कमरे में बनाने की शर्त पर स्वीकार किया था जो पूरी ना हो सकी और मूर्तियां अधूरी रह गई। प्रभु इच्छा समझकर अधूरी मूर्तियां ही स्थापित कर दी गई। इन मूर्तियों को हर 12 साल में बदला जाता है।
भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) की लीला अपरंपार है। प्रभु की महिमा का अंदाजा मंदिर में हर पल होने वाले इन चमत्कारों से लगाया जा सकता है।
श्री जगन्नाथ मंदिर (Shri Jagannath Temple) के ऊपर स्थापित लाल ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है।
हर रोज़ शाम को मंदिर की चोटी पर लगे ध्वज को उल्टा चढ़कर बदला जाता है।
मुख्य गुंबद की छाया दिन में किसी भी समय दिखाई नहीं देती।
मंदिर की चोटी पर स्थापित अष्टधातु से निर्मित पावन सुदर्शन चक्र हर दिशा से देखने पर आपको हमेशा सामने ही दिखेगा।
आमतौर पर समुद्री तटों पर हवा समुद्र से जमीन की ओर आती है, लेकिन यहां हवा जमीन से समुद्र की ओर जाती है।
इस मंदिर की ऊंचाई आज तक कोई नहीं छु पाया है। इसके ऊपर से आजतक कोई विमान, ना ही कोई पक्षी उड़ पाया है।
जगन्नाथ पुरी (Jagannath Puri) में दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर है जहां महाप्रसाद बनाया जाता है। भगवान जगन्नाथ जी (Lord Jagannath) का महाप्रसाद लगभग 20 लाख भक्त एक साथ ग्रहण कर सकते है। यहां महाप्रसाद चाहे कुछ हजार व्यक्तियों के लिए ही बने लेकिन कभी भी लाखों लोगों के लिए भी कम नहीं पड़ता और ना ही कभी व्यर्थ जाता है। महाप्रसाद 7 बर्तनों को एक-दूसरे पर रखकर लकड़ी के चूल्हे पर पकाया जाता है लेकिन फिर भी सबसे ऊपर रखे बर्तन का खाना पहले पक जाता है।
जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) समुद्र किनारे स्थित है लेकिन फिर भी मंदिर के अंदर कदम रखते ही आपको लहरों की ध्वनि सुनाई नहीं देती लेकिन बाहर यह ध्वनि साफ सुनाई देती है।
विश्व प्रसिद्ध श्री रथ यात्रा (Puri Rath Yatra), जगन्नाथ धाम का मुख्य आकर्षण है और एक विशेष हिंदू महोत्सव है जिसके लिए हजारों भक्त पुरी आते है। यह हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथी को निकाली जाती है। यह पवित्र यात्रा श्री जगन्नाथ मंदिर से शुरु होकर मौसी माँ मंदिर होते हुए श्री गुंडिचा मंदिर पर संपन्न होती है। भक्त तीनों देवताओं के इन दिव्य रथों को तीन किलोमीटर तक खींचते है।
यह हिंदू मंदिर (Hindu Temple) महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थ में से एक है जहां हर हिंदु को मोक्ष प्राप्ति के लिए अपने जीवन में एक बार जरूर जाना चाहिए। यहां कदम रखते ही आपको ऐसा लगेगा जैसे आपने भगवान के घर में प्रवेश कर लिया है।
जय जगन्नाथ प्रसिद्ध, धार्मिक स्थल जो भक्तों को श्रद्धा और समर्पण के भाव से जोड़ता है।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति