Thursday, December 26

योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi)

Yogini Ekadashi

योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi)

एकादशी का व्रत भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की आराधना के लिए समर्पित है। एकादशी के व्रत का अर्थ है कि अपनी एकादश इंद्रियों को भगवान की सेवा में लगाना। एकादशी का व्रत द्वादशी को पारण के उपरांत ही सम्पन्न माना जाता है। द्वादशी के दिन अपनी क्षमता के अनुसार ब्राह्मणों को दान देने के उपरांत ही पारण करना चाहिए। इस तरह का पारण ही शास्त्र सम्मत माना जाता है। एकादशी के दिन अन्न का सेवन किए बिना सत्कर्म में अपना समय बिताना चाहिए। रात में फलाहार का विधान है। रात्रि में भगवान विष्णु के समक्ष दीपक प्रज्वलित करके संकीर्तन करते हुए भगवान का भजन करें।

योगिनी एकादशी का महत्व (Importance and Significance of Yogini Ekadashi)

योगिनी एकादशी  (Yogini Ekadashi) के दिन भगवान विष्णु (Shri Hari Vishnu) की आराधना करने से समृद्धि और आनन्द की प्राप्ति होती है। इस दिन जो भी संकल्प करके व्रत करता है उसकी मनोकामनाएं जल्द पूरी होती हैं। किसी के दिए श्राप से मुक्ति पाने के लिए यह व्रत कल्पतरू के समान है। इस व्रत के प्रभाव से सभी प्रकार के चर्म रोगों से छुटकारा मिलता है।

योगिनी एकादशी 2024 (Yogini Ekadashi 2024)

एकादशी एक दिन पहले से ही शुरू हो जाती है। साल 2024 की योगिनी एकादशी 2 जुलाई को मनाई जाएगी। व्रत का पारण 3 जुलाई को प्रातः 5 बजकर 27 मिनट से 8 बजकर 14 मिनट के बीच किया जा सकेगा।

एकादशी व्रत के नियम (Rules of Ekadashi fast)

  • एकादशी का व्रत एक दिन पहले शुरू हो जाता है इसलिए दशमी तिथि की रात्रि में साधक या साधिका को चावल, जौं, गेहूं और मूंग की दाल से बना भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
  • दशमी तिथि की रात्रि में नमक युक्त भोजन नहीं करना चाहिए।
  • एकादशी के दन किसी के साथ झगड़ा न करें। साथ ही द्वेष, छल, कपट वाली बातें न करें। 

योगिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि (Yogini Ekadashi fast worship method)

योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा बेहद फलदायी होती है। व्रत के दिन पूजा विधि इस प्रकार है-

  • एकादशी के दिन प्रातः उठकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य भगवान (Lord Surya) को जल का अर्घ्य दें और हाथ जोड़कर भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  • अपने पूजा स्थल की साफ सफाई करें। एक लकड़ी की चौकी लें, उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • इसके बाद भगवान विष्णु को चंदन आदि लगाएं। पीले वस्त्र अर्पित करें। पीले पुष्प चढ़ाएं। विधि विधान के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • अंत में भगवान विष्णु की पुष्प, धूप, दीप आदि से आरती उतारें। पीले रंग का भोग लगाएं और प्रसाद सभी को वितरित कर दें।

योगिनी एकादशी की व्रत कथा (Yogini Ekadashi fasting story)

स्वर्गलोक के अलकापुरी नगर में राजा कुबेर (King Kuber) रहते थे। वह भगवान शिव (Bhagwan Shiva) के बहुत बड़े भक्त थे । राजा प्रतिदिन नियम धर्म से भगवान शिव की पूजा करते थे। उनके पूजा के लिए हेम (Hem) नाम का माली प्रतिदिन पुष्प देकर जाता था। वह अपनी पत्नी विशालाक्षी (Vishalakshi) को बहुत प्रेम करता था।

एक दिन माली पुष्प वाटिका से पुष्प चुनकर तो ले आया लेकिन राजा के दरबार में फूल लेकर नहीं पहुंचा। वह अपनी पत्नी के साथ विहार के लिए निकल गया। पूजा करने का समय बीतता देखकर राजा कुबेर व्याकुल होने लगे। जब पूजा का समय बीत गया और माली फूल लेकर नहीं पहुंचा तब राजा ने अपने सैनिकों से माली का पता लगाने को कहा। तब सनिकों ने उसकी खोज शुरू की। वापस आकर सैनिकों ने राजा को बताया कि महाराज वह तो महापापी और महाकामी है। वह अपनी पत्नी के साथ विहार में मस्त है। यह सुनकर राजा क्रोधित हो गए। उन्होंने सैनिकों को आदेश दिया कि माली को पकड़कर राज दरबार में लाया जाए। जब राजा ने दरबार में माली को देखा तो उन्होंने कहा कि हे नीच पापी तुमने कामवश होकर भगवान शिव (Lord Shiva) का अनादर किया है। मैं तुझे शाप देता हूँ कि तू अब पत्नी का वियोग सहेगा और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी हो जाएगा।

राजा कुबेर के शाप से माली कोढ़ी होकर धरती पर पहुंच गया। धरती में उसे अनेकों दु:ख सहन करने पड़ रहे थे। वह एक दिन भटकते-भटकते मार्कण्डेय ऋषि (Markandeya Rishi) के आश्रम में पहुंच गया। वहां जाकर वह ऋषि के चरणों में गिर पड़ा और उसने उन्हें अपनी परेशानी से अवगत कराया। तब ऋषि ने उससे कहा कि तुम आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का विधि पूर्वक व्रत करो। तुम्हारे सारे पाप नष्ट हो जाएंगे। माली ने ऋषि के बताए अनुसार व्रत किया। जिसके बाद उसे शाप से छुटकारा मिला और वह पुन: स्वर्ग में आकर अपनी पत्नी के साथ सुख से रहने लगा।

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