राधाष्टमी भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की ही तरह पवित्र त्यौहार है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पन्द्रह दिन बाद भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को श्रीकृष्ण की प्रिय सखी एवं अधिष्ठात्री श्रीराधाजी का जन्म हुआ था। श्रद्धालु इस दिन अपनी आराध्य देवी राधारानी का जन्मदिन पूर्ण श्रद्धा-भक्ति के साथ व्रत एवं पूजन-अर्चन तथा रात्रि जागरण करके मनाते हैं।
राधाष्टमी (Radhashtami) पर्व वैसे तो पूरे विश्व में कृष्ण और राधा के भक्त मनाते हैं लेकिन मथुरा, वृन्दावन, बरसाना, द्वारका में विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है।
सनातन धर्म के अनुयायियों में यह मान्यता है कि श्रीराधा की पूजा-अर्चना के बिना राधाकृष्ण की आराधना अधूरी मानी जाती है। कहा तो यहां तक जाता है कि श्रीराधा का नाम जपने से ही श्रीकृष्ण अपने आप ही प्रसन्न हो जाते हैं। यह भी मान्यता है कि जिस धूमधाम और श्रद्धा-भक्ति से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनायी जाती है उसी तरह से राधाष्टमी मनानी चाहिये। राधाष्टमी का उत्सव मनाये बिना श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Shri Krishna Janmashtami) का फल अधूरा ही रहता है। इसलिये सभी सनातनियों को चाहिये कि राधाष्टमी अवश्य मनायें।
इस वर्ष राधाष्टमी का पर्व 11 सितम्बर, 2024 दिन बुधवार को मनाया जायेगा।
11 सितम्बर, 2024 दिन बुधवार को हालांकि पूरा दिन अष्टमी होने के कारण कभी भी राधाष्टमी की पूजा की जा सकती है किन्तु शुभ मुहूर्त पर पूजा करने का विशेष लाभ मिलता है।
राधाष्टमी (Radhashtami) के दिन प्रात:काल उठकर नित्यकर्म से निवृत होकर स्नान करें और धुले हुए साफ वस्त्र पहनें। पूजाघर की साफ-सफाई कर लें और उसकी साज-सजावट भी कर लें।
पूजा स्थल पर आटे और रंगों की सहायता से रंगोली बनायें और मिट्टी या तांबे के कलश की स्थापना करें। साथ में एक चौकी को अच्छी तरह से सजा कर एक लाल रंग का नया कपड़ा बिछायें और पर श्रीराधारानी जी (Shri Radharani) की प्रतिमा को स्थापित करें। राधारानी की अकेली प्रतिमा न मिल सके तो राधाकृष्णजी (Radhakirishna) की प्रतिमा को भी स्थापित कर सकते हैं।
श्रीराधारानी या श्रीराधाकृष्ण जी में जो भी प्रतिमा मिले। सर्वप्रथम उसे पंचामृत से स्नान करायें और उसके बाद गंगाजल या शुद्ध जल से साफ कर लें। उसके बाद सुंदर वस्त्र पहना कर उनका श्रृंगार करें। इसके बाद कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल से पूर्ण श्रद्धाभाव से पूजा करें। उसके बाद फल और मिष्ठान से भोग प्रसाद लगावें। इसके बाद पूजन स्थल पर उपस्थित सभी परिवार जन एवं पास-पड़ोस के श्रद्धालुजन पूर्ण भक्तिभाव से आरती गाएं एवं कीर्तन करें। पूरे दिन व्रत करें। संध्याकाल में पुन: पूजन करें एवं व्रत का पारण करें। रात्रि में सभी श्रद्धालुजनों को श्रीराधारानी के जन्मदिन यानी राधाष्टमी के उपलक्ष्य में भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करते रहना चाहिये।
पुराणों में मान्यता है कि राधाष्टमी पर पूजा-अर्चना करने वाले व्यक्ति से श्रीकृष्ण (Krishna Bhagwan ji) ही जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी हर कामना को पूर्ण करते हैं। ये भी कहा जाता है की राधाष्टमी का व्रत करने वालें और उस दिन पूजा अर्चना करने वाले व्यक्ति के घर में धन की कोई कमी नहीं रहती। अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
राधाष्टमी से जुड़े प्रश्न और उत्तर
प्रश्न: राधाष्टमी का महत्व और इसे कैसे मनाते हैं?
उत्तर: राधाष्टमी श्रीराधा के जन्म के अवसर पर मनाया जाने वाला पवित्र त्यौहार है, जिसे भक्तिभाव से व्रत, पूजा, और जागरण के साथ मनाया जाता है।
प्रश्न: राधाष्टमी की मान्यता क्यों है और क्या है इसका धार्मिक महत्व?
उत्तर: राधाष्टमी का आचरण श्रीराधा के बिना श्रीकृष्ण की पूजा को अधूरा माना जाता है, और इसे धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है।
प्रश्न: राधाष्टमी कहां-कहां मनाई जाती है और क्यों?
उत्तर: राधाष्टमी पूरे विश्व में कृष्ण और राधा के भक्तों द्वारा मनाया जाता है, लेकिन इसे विशेष रूप से मथुरा, वृन्दावन, बरसाना, और द्वारका में उत्साह के साथ मनाया जाता है।
प्रश्न: राधाष्टमी पर कैसे करें व्रत और पूजा?
उत्तर: राधाष्टमी के दिन उठकर स्नान करें, पूजाघर सजाएं, रंगोली बनाएं, और श्रीराधा की प्रतिमा को स्थापित करके भक्तिभाव से पूजा करें। फल, मिष्ठान, और भोग प्रसाद को समर्पित करें।
प्रश्न: राधाष्टमी का उत्सव कब हो रहा है और इसका क्या महत्व है?
उत्तर: इस वर्ष, राधाष्टमी 11 सितम्बर, 2024 को है, और इसका महत्व है भगवान कृष्ण की प्रिय सखी श्रीराधाजी के जन्म की पूजा करना।
प्रश्न: राधाष्टमी का पूजन स्थल और श्रृंगार कैसे करें?
उत्तर: राधाष्टमी के दिन, पूजा स्थल को साफ-सफाई के साथ सजाकर रंगोली बनाएं। श्रीराधारानी या श्रीराधाकृष्णजी की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं और सुंदर वस्त्र पहना कर उनका श्रृंगार करें। पूजा के लिए रंग, कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, और मिष्ठान का उपयोग करें।
प्रश्न : राधाष्टमी जागरण क्यों महत्वपूर्ण है और कैसे करें?
उत्तर : राधाष्टमी जागरण रात्रि में भक्तिभाव से की जाने वाली कीर्तन एवं भजन सत्र है, जिससे आत्मा में शांति एवं आनंद की अनुभूति होती है, और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
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