श्री कृष्ण का जन्म (Bhagwan Shir Krishn ka Janam) भाद्रपद मास में रोहिणी नक्षत्र की अंधेरी रात में तथा अष्टमी तिथि को हुआ था। अष्टमी के दिन जन्म लेने के कारण ही भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस को कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) नाम दिया गया ।कृष्ण जन्माष्टमी प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक है। पूरे भारतवर्ष में जन्माष्टमी के दिन को लेकर लोगों में बेहद उत्साह देखने को मिलता है। जगह जगह पर पंडाल बना कर श्री कृष्ण (Shri Krishna) के जन्म की झांकियां सजाई जाती है। तथा उनके जन्म की कथा दोहराई जाती हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व के सप्ताह पूर्व से ही हमारे बाजारों की रौनक बढ़ जाती है तथा बाजारों में श्री कृष्ण के वस्त्र एवं आभूषण खरीदने के लिए भक्तों की भारी भीड़ इकट्ठा हो जाती है।
अत्याचारी राजा कंस के अत्याचार से त्रस्त हो चुकी पृथ्वी पर भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) के परम अवतार श्री कृष्ण के जन्म का उद्देश्य सत्य की रक्षा तथा दानवी प्रवृत्ति का अंत करना था। भगवान श्री कृष्ण ने कंस की बहन देवकी के पुत्र (Devki Putra Krishan) के रूप में जन्म लिया। देवकी के विवाह के पश्चात जब कंस (Kans) देवकी के रथ को विदा कर रहा था तभी आकाशवाणी हुई कि हे कंस! जिस बहन को तुम प्रसन्नता पूर्वक विदा कर रहे हो उसी का आठवां बालक तुम्हारे अंत का कारण बनेगा। आकाशवाणी सुनकर कंस भयभीत हो गया तथा वासुदेव (Vasudev) और देवकी (Devki) को मारने के लिए आगे बढ़ा। कंस के क्रोधित रूप को देखकर देवकी ने कंस से विनती की कि मेरे गर्भ से जो भी संतान उत्पन्न होगी उसे मैं आपके समक्ष प्रस्तुत कर दूंगी। कंस ने देवकी की विनती स्वीकार कर ली तथा देवकी और वासुदेव जी को मथुरा के कारागृह (Mathura ka Karagriha) में बंद कर दिया।
देवकी की 7 संतानों के क्रमशः अंत करने के पश्चात कंस देवकी के आठवें पुत्र के जन्म की प्रतीक्षा कर रहा था। वासुदेव देवकी के आठवें पुत्र के जन्म के समय कारागार में एक अलौकिक दीप्ति जागृत हुई ,कारागार की सभी द्वारपाल सो गए तथा कारागार के सभी द्वार स्वत: ही खुल गये। इसी समय वासुदेव तथा देवकी के समक्ष भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) अवतरित हुए। श्री हरि विष्णु (Shri Hari Vishnu) ने अपने अवतार की कथा देवकी एवं वासुदेव जी को सुनाई। भगवान विष्णु ने नंद जी (Nand Ji) के घर उत्पन्न पुत्री को गोकुल से मथुरा लाकर उसके स्थान पर वासुदेव जी के पुत्र को गोकुल में छोड़कर आने की बात कही। इसके बाद भगवान विष्णु ने एक नवजात शिशु का रूप धारण कर लिया। भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण (Bhagwan Shri Krishna) अवतार भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन लिया था।
भगवान श्री कृष्ण (Bhagwan Shri Krishna) ने कंस के वध (Kans ka vadh) के लिए पृथ्वी पर अवतार लिया था। उन्होंने ना सिर्फ कंस का वध किया अपितु महाभारत युद्ध के दौरान सारथी बनकर अर्जुन के मार्गदर्शक का कार्य भी किया। भगवान श्री कृष्ण ने बाल्यकाल से ही दानवों का अंत करना आरंभ कर दिया था तथा अपनी किशोरावस्था में उन्होंने कंस के पहलवानों को हराकर कंस को भी समाप्त कर दिया।
साल 2024 में कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त, सोमवार को मनाई जाएगी. इस दिन अष्टमी तिथि सुबह 3 बजकर 39 मिनट से शुरू होगी और 27 अगस्त को सुबह 2 बजकर 19 मिनट पर खत्म होगी. रोहिणी नक्षत्र 26 अगस्त को शाम 3 बजकर 55 मिनट पर शुरू होगा और 27 अगस्त को शाम 3 बजकर 38 मिनट पर खत्म होगा.