Saturday, April 19

गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa)

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गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa)

भारतवर्ष में हिन्दू नववर्ष की शुरुआत को गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) के रूप में मनाया जाता है। यह एक प्रमुख त्यौहार है जो भारत के विभिन्न भागों में हिन्दू धर्मावलंबियों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार एक नई शुरुआत का प्रतीक है जिसे विभिन्न क्षेत्रों और राज्यों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। इस त्यौहार को हिन्दी भाषी राज्यों में हिन्दू नववर्ष (Hindu New Year), नव संवत्सर के नाम से जाना जाता है, तो वहीं महाराष्ट्र और गोवा में इसे गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) कहा जाता है।

दक्षिण भारतीय राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में इसे उगादी (Ugadi) के नाम जाना जाता है तो वहीं जम्मू और कश्मीर में नवरेह (Navreh) तथा मणिपुर में साजिबु नोंगमा पंबा (Sajibu Nongma Pamba) के नाम से इस त्यौहार को मनाया जाता है।

गुड़ी पड़वा कब है? (When is Gudi Padwa in 2025?)

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च को शाम 4:27 बजे शुरू होकर 30 मार्च को दोपहर 12:49 बजे समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि को मान्यता दी जाती है, इसलिए गुड़ी पड़वा 30 मार्च को मनाया जाएगा।

गुड़ी पड़वा महत्व (Gudi Padwa importance)

गुड़ी पड़वा का उल्लेख पौराणिक कथाओं में मिलता है जिसमें इस त्यौहार को संसार की रचना के दिन के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन ब्रह्मा (Lord Brahma) जी ने इस संसार की रचना की थी, सिलिए इस दिन ब्रह्मा (Lord Brahma) जी पूजा भी की जाती है।

गुड़ी पड़वा का इतिहास (History of Gudi Padwa)

कहा जाता है कि गुड़ी पड़वा मनाने की शुरुआत उज्जैन के महान सम्राट विक्रमादित्य (Emperor Vikramaditya) के कार्यकाल में हुई थी। इस भारतीय नववर्ष क नाम से भी जाना जाता है। विक्रमादित्य के समय में इसकी शुरुआत होने से इसे विक्रम संवत (Vikram Samvat ) के नाम से जाना जाता है।

ऐसे हुई विक्रम संवत मनाने की शुरुआत (how the celebration of Vikram Samvat started)

राजा विक्रमादित्य (King Vikramaditya) के दरबार में वराहमिहिर (Varahamihira) नाम के एक प्रसिद्ध खगोलशास्त्री थे। उन्हें सूर्य, चाँद और तारों और उनकी गति के बारे में अच्छा खासा ज्ञान था। उन्हीं ने सबसे पहले साल के सभी दिनों को विक्रम संवत के रूप में मनाने का प्रस्ताव दिया था। विक्रम संवत अंग्रेजी कैलेंडर से लगभग 57 वर्ष आगे चलता है। उदाहरण के लिए अब 2025+57=2082 विक्रम संवत शुरू होने जा रहा है।

गुड़ी पड़वा पर इस तरह से करें घर की सजावट (Home decoration on Gudi Padwa)

गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) पर घर को सजाने की परंपरा है, यह परंपरा सभी सनातन धर्मावलंबियों द्वारा मनाई जाती है। इस दिन महिलाएं घर की छत और आगन पर रंगोली बनाती हैं। साथ ही घर के मुख्य द्वार पर आम के पत्तों से विशेष प्रकार की सजावट करती हैं। आप अपने घर में सुख-शांति बनाएं रखने के लिए आम के पत्तों, फूलों और चावल की मदद से रंगोली बना सकते हैं। साथ ही घर के मुख्य दरवाजे पर आम के पत्तों से बना बंदनवार जरूर लगाएं।

गुड़ी पड़वा पूजा विधि (Gudi Padwa puja method)

इस दिन प्रातः काल उठें और सबसे पहले स्नान करें, इसके बाद घर के मुख्य द्वार पर आम के पत्तों का बंदनवार लगाएं। इसके बाद घर के एक हिस्से में गुड़ी लगाकर उसे आम के पत्ते, फूल और रेशमी कपड़े आदि से सजाएं। इसके बाद ब्रह्मा जी की विधि विधान के अनुसार पूजा करें। अंत में भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए गुड़ी को फहराएं।

प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न: गुड़ी पड़वा कब है?

उत्तर: गुड़ी पड़वा 30 मार्च को मनाया जाएगा।

प्रश्न: इस साल  2025 में कौन सा विक्रम संवत शुरू होने जा रहा है?

उत्तर: इस साल विक्रम संवत 2082 शुरू होने जा रहा है।

प्रश्न: विक्रम संवत अंग्रेजी कैलेंडर से कितने वर्ष आगे चलता है?

उत्तर: विक्रम संवत अंग्रेजी कैलेंडर से लगभग 57 वर्ष आगे चलता है।

प्रश्न: हिन्दू नववर्ष मनाने की शुरुआत किसके समय में हुई थी?

उत्तर: हिन्दू नववर्ष मनाने की शुरुआत राजा विक्रमादित्य के समय में हुई थी।

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