Saturday, April 19

भाईदूज (Bhai Dooj)

Bhai Dooj

भाईदूज (Bhai Dooj)

भाई दूज या भाई द्विज (Bhai Dwij) कार्तिक मास में मनाया जाने वाला हिंदुओं का एक धार्मिक पर्व है। इसे हम यम द्वितीया (Yam Dwitiya) के नाम से भी जानते हैं। भाई दूज का त्यौहार (Bhai Dooj ka Tyohar) हर वर्ष दीपावली (Diwali) के 2 दिन बाद आता है। भाई दूज के त्यौहार के दिन सभी बहनें अपने भाइयों की खुशहाली एवं उनके मंगलमय जीवन के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस तिथि को भाई को अपनी बहन के हाथ से ही भोजन ग्रहण करना चाहिए और अपनी बहनों को उपहार देना चाहिए। जिससे उनके जीवन में धन और अन्न की कमी नहीं होती है।

पौराणिक कथा (Mythology of Bhai Dooj)

पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्यपुत्र यम (SuryaPutra Yam) तथा सूर्य पुत्री यमुना (SuryaPutri Yamuna) में बहुत प्रेम था। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन यमुना ने अपने भाई यमराज जी को अपने घर पर उनका आथित्य करने के लिए आमंत्रित किया। यम ने यमुना जी का आमंत्रण स्वीकार किया तथा उनसे मिलने गए, यमुना जी ने अपने भाई को अपने घर पर देखा तो वह बहुत प्रसन्न हुई तथा अपने भाई के लिए अपने हाथों से स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किया और उनका आदर किया। यमराज ने भी अपनी बहन यमुना को कई उपहार भेंट किए। यम ने पुनः अपने धाम लौटते समय यमुना जी से वरदान मांगने को कहा तब उनकी बहन यमुना ने कहा कि आप हर वर्ष इसी तिथि को मुझसे मिलने आइए और मेरा आतिथ्य स्वीकार कीजिए। कहा जाता है तभी से भाई दूज (Bhai Dooj) के त्यौहार की शुरुआत हुई। ऐसा माना जाता है कि जिस प्रकार यमुना जी ने अपने भाई को भोजन कराया था उसी प्रकार यम द्वितीया के दिन जो मनुष्य अपनी बहन के हाथ का उत्तम भोजन करता है उसे उत्तम भोजन के साथ धन की भी प्राप्ति होती है।

भाई दूज तिथि 2025 (Bhai Dooj 2025)

वर्ष 2025 में भाई दूज के दो पर्व मनाए जाएंगे:

  1. होली भाई दूज: यह पर्व होली के बाद मनाया जाता है। 2025 में यह रविवार, 16 मार्च को मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनके लंबे और सुखी जीवन की कामना करती हैं।
  2. दीपावली भाई दूज: यह पर्व दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है। 2025 में यह गुरुवार, 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन भी बहनें अपने भाइयों को तिलक करती हैं और उनके कल्याण की प्रार्थना करती हैं।

दोनों पर्व भाई-बहन के स्नेह और प्रेम को प्रकट करते हैं और परिवार में एकता और सामंजस्य को बढ़ावा देते हैं।

  • Share: