भक्त शिरोमणि, कलयुग के देव (Kalyug ke Dev), श्रीराम (Shri Ram) के अनन्य भक्त, महाबली, वीर हनुमान (Mahabali Veer Hanuman) को शत-शत नमन।
।। हनुमत से बड़ा है हनुमत का नाम
कलयुग के तारणहार है श्री हनुमान।।
भक्तजनों आरती वह अनुष्ठान है जिसे भक्त अपने आराध्य की स्तुति में करते है। आरती फल-फूल, रोली, मौली, अगरबत्ती, अक्षत और घंटी, पानी के लोटे से सजी हुई थाली में कपूर और घी का दीया जलाकर गाई जाती है। गाते समय आरती की थाली को देवताओं के सामने दक्षिणावर्त घुमाया जाता है। आरती पूर्णतया अपने आराध्य को समर्पित होती है।
हनुमान आरती (Hanuman Aarti) प्रतिदिन करने से भक्तों के सारे पाप दूर हो जाते है। भक्त हनुमान जी को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए हनुमान चालीसा आरती (Hanuman Chalisa Aarti) करते है।
श्री हनुमान जी (Lord Hanuman) अपने भक्तों पर आने वाले सभी संकटों को हर लेते है इसलिए उन्हें संकटमोचन (Sankatmochan Hanuman) भी कहते है। प्रत्येक भक्त को रोज हनुमान जी की पूजा करने के बाद उनकी आरती करनी चाहिए।
आइए आपको श्री हनुमान आरती (Hanuman Aarti) अर्थ सहित बताते है।
।। आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।
अर्थ- आरती कीजिए, हनुमान लला की, दुष्टों का संहार करने वाले श्री रघुनाथ जी के परम भक्त हनुमान जी की।
।। जाके बल से गिरिवर कांपे।
रोग दोष जाके निकट न झांके ।।
अर्थ- जिनके बल के आगे बड़े-बड़े पर्वत भी कांप उठते है। जो भक्त रोजाना हनुमान जी के नाम का जाप करते है रोग और दोष उनके निकट झांककर भी नहीं देखते।
।। अंजनि पुत्र महाबलदायी।
सन्तन के प्रभु सदा सहाई ।।
अर्थ- माता अंजनी के पुत्र श्री हनुमान जी महाबली होने के साथ-साथ महादायी भी है अर्थात जो भक्त हनुमान जी का सच्चे मन से ध्यान करते है हनुमान जी उन्हें आशीर्वाद में मनचाहा वरदान देते है। सच्चे मन से की हनुमंत की भक्ति भक्त को आशीर्वाद में कुछ भी दिला सकती है। हनुमान जी हमेशा संत लोगों की सहायता करते है।
।। दे बीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारि सिया सुध लाए ।।
अर्थ- रघुनाथ शी राम ने हनुमान जी को माता सीता को ढूंढने का महान कार्य दिया था जिसे उन्होंने सफलतापूर्वक किया। हनुमान जी ने रावण की नगरी लंका जाकर माता सीता का पता लगाया।
।। लंका सो कोट समुद्र सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई ।।
अर्थ- लंका के चारों तरफ समुद्र जैसी गहरी खाई थी जो अभेद थी, जिसे कोई भी आसानी से पार नहीं कर सकता था लेकिन वायु पुत्र हनुमान शीघ्र अति शीघ्र हवा से भी तेज गति से समुद्र को लांघकर, गहरी खाई को पार करके लंका पहुंचकर माता सीता की खबर लाते है।
।। लंका जारि असुर संहारे।
सियारामजी के काज संवारे ।।
अर्थ- हनुमान जी ने लंका जाकर असुरों का संहार किया और माता सीता से मिलकर
सियावर श्री राम जी के सीता माता की खोज के कार्य को बखूबी पूरा किया।
।। लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।
आणि संजीवन प्राण उबारे ।।
अर्थ- रावण से युद्ध के दौरान श्री लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए तब हनुमान जी सुबह होने से पहले संजीवनी बूटी के लिए पूरे पर्वत को लाकर लक्ष्मण जी के प्राणों की रक्षा की थी।
।। पैठी पताल तोरि यमकारे।
अहिरावण की भुजा उखारे ।।
अर्थ- जब अहिरावण श्रीराम व लक्ष्मण जी को पाताल लोक ले गया तब आप ने ही अहिरावण का वध करके प्रभु को उसके बंधन से मुक्त कराया था।
।। बाएं भुजा असुर दल मारे।
दाहिने भुजा संतजन तारे ।।
अर्थ- हनुमान जी अपने एक (बाएं) हाथ से असुरों को मार गिराते है और दूसरे (दाएं) हाथ से हमेशा संत लोगों और सच्चे भक्तों की सहायता करते है।
।। सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे।
जै जै जै हनुमान उचारे ।।
अर्थ- देवता, मनुष्य और ऋषि मुनि जन सदैव आपकी आरती उतारते है और आपके नाम का जय कार करते हुए जय हनुमान, जय हनुमान का जाप करते है।
।। कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई ।।
अर्थ- माता अंजना सदैव सोने की थाली में कपूर की लौ से आप की आरती उतारती है। इसलिए भक्तजनों श्री हनुमान जी की आरती (Hanuman Ji ki Aarti) में सदैव कपूर अवश्य जलाएं।
।। लंका विध्वंस किए रघुराई।
तुलसीदास स्वामी हरि आरती गाई ।।
अर्थ- रघुवीर के परम भक्त श्री हनुमान जी ने रावण की लंका को जलाकर तबाह कर दिया था और श्रीराम ने रावण का वध कर संपूर्ण लंका को राक्षसों सहित विध्वंस कर दिया था। गोस्वामी तुलसीदास जी स्वयं उनकी कीर्ति का बखान करते है।
।। इति आरती बजरंगबली की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।
अर्थ- यह आरती संपन्न हुई, बजरंगबली की। दुष्टों का नाश करने वाले रघुनाथ जी के परम भक्त श्री हनुमान जी की।
।। जो हनुमानजी की आरती गावै।
बसि बैकुंठ परमपद पावै ।।
अर्थ- जो भक्त सच्चे मन और पूरी निष्ठा से हनुमान जी की आरती (Hanuman Ji ki Aarti) गाते है वह इस लोक में सब सुखों को भोगते हुए अंत में सर्वश्रेष्ठ बैकुंठ का निवास पाते है।
महाबली हनुमान जी (Mahabali Hanuman) की आरती करने से मन के सारे भय खत्म जाते है और मन हमेशा खुश रहता है।
हनुमान आरती (Hanuman Aarti) को सच्चें मन से करने से हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस पवित्र आरती को प्रतिदिन करने वाले भक्त हमेशा हनुमान जी की छत्र-छाया में रहते है।
श्री हनुमान जी की आरती (Sri Hanuman Ji ki Aarti) का जाप करने से जीवन में आने वाली सारी कठिनाइयां दूर हो जाती है।
वीर हनुमान जी की आरती (Veer Hanuman Ji ki Aarti) शक्ति और ज्ञान प्रदान करती है।
श्री हनुमान आरती (Hanuman Aarti) भगवान राम के भक्त भगवान हनुमान जी की स्तुति है।
हनुमना चरित्र की ताकत और शक्ति के प्रतीक है जो सूर्य को निगलने से लेकर संजीवनी बूटी के लिए पूरे पर्वत को उठाने तक, भूत-प्रेत को भगाने से लेकर लंका जलाने तक, समूद्र को लांघकर पार करने से लेकर दुश्मन को मार गिराने तक कुछ भी कर सकते है।
हनुमानजी महाराज की आरती (Hanuman Maharaj ki Aarti) सबको करना चाहिए। श्री हनुमान आज भी इस कलयुग के इकलौते देव (Kalyug ke Dev) है जो जीवित रूप में इस धरा पर विराजमान है। आज भी जहाँ पर श्री राम जी (Shri Ram Ji) का गुणगान होता है, कथा होती है, वहां श्री हनुमान जी कथा सुनने स्वयं पधारते है।
ऐसे वीर बलशाली श्री हनुमान जी की आरती (Hanuman Ji ki Aarti) सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देती है। रोजाना 5 मिनट का समय निकालकर सच्चे मन और पूरी श्रद्धाभाव से हनुमान चालीसा आरती (Hanuman Chalisa Aarti) गाकर देखिए, कैसे हनुमंत आपकी सारी पीड़ा हर लेंगे।
हनुमान जी की आरती से जुड़े रोचक प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: हनुमान जी की आरती क्यों की जाती है?
उत्तर: हनुमान जी की आरती भक्त अपने आराध्य की स्तुति और सम्मान में करते हैं। इससे भक्तों के सारे पाप दूर होते हैं और उन्हें हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
प्रश्न 2: हनुमान जी की आरती कब करनी चाहिए?
उत्तर: हनुमान जी की आरती रोजाना करनी चाहिए, विशेषकर मंगलवार और शनिवार को, क्योंकि यह दिन हनुमान जी को समर्पित माने जाते हैं।
प्रश्न 3: हनुमान जी की आरती कैसे करनी चाहिए?
उत्तर: हनुमान जी की आरती फल-फूल, रोली, मौली, अगरबत्ती, अक्षत, और कपूर व घी के दीपक से सजी थाली में की जाती है। आरती की थाली को देवता के सामने दक्षिणावर्त दिशा में घुमाया जाता है।
प्रश्न 4: हनुमान जी की आरती करने के क्या लाभ हैं?
उत्तर: हनुमान जी की आरती करने से मन के सारे भय खत्म हो जाते हैं, मन हमेशा खुश रहता है और भक्तों को शक्ति, ज्ञान, और हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
प्रश्न 5: हनुमान जी की आरती का सही समय क्या है?
उत्तर: हनुमान जी की आरती का सही समय सुबह और शाम को है। यह समय ध्यान और पूजा के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
प्रश्न 6: हनुमान जी की आरती के दौरान कौन से मंत्र का जाप किया जाता है?
उत्तर: हनुमान जी की आरती के दौरान "ॐ हं हनुमते नमः" मंत्र का जाप किया जाता है।
प्रश्न 7: हनुमान जी की आरती करने से कौन-कौन सी समस्याएं दूर होती हैं?
उत्तर: हनुमान जी की आरती करने से जीवन में आने वाली सारी कठिनाइयाँ, रोग, दोष, और भूत-प्रेत की समस्याएं दूर हो जाती हैं।
प्रश्न 8: क्या हनुमान जी की आरती के बाद कोई विशेष प्रार्थना करनी चाहिए?
उत्तर: हाँ, हनुमान जी की आरती के बाद भक्त हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करके और हनुमान जी से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना कर सकते हैं।
प्रश्न 9: हनुमान जी की आरती किन-किन चीजों से करनी चाहिए?
उत्तर: हनुमान जी की आरती कपूर, घी, फूल, रोली, मौली, अगरबत्ती, और अक्षत से सजी थाली में करनी चाहिए।
प्रश्न 10: हनुमान जी की आरती के क्या नियम हैं?
उत्तर: हनुमान जी की आरती करते समय मन को शांत और ध्यानमग्न रखना चाहिए, आरती की थाली को देवता के सामने दक्षिणावर्त दिशा में घुमाना चाहिए, और पूरी श्रद्धाभाव से हनुमान जी का स्मरण करना चाहिए।
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