Wednesday, March 12

महाशिवरात्रि (Maha Shivratri)

Maha Shivratri

महाशिवरात्रि (Maha Shivratri)

महाशिवरात्रि का त्यौहार भगवान शिव के विवाह समारोह के उत्सव में मनाया जाता है। यह त्यौहार मुख्य तौर पर कश्मीरी पंडितों द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार है। इसकी शुरुआत कश्मीरी पंडितों ने की थी। परंतु अब यह पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही इस सृष्टि की रचना हुई थी तथा इसी दिन माता शिव एवं पार्वती ने विवाह (Shiv Parvati Vivah) किया था। प्रत्येक वर्ष भारत में 12 शिवरात्रि होती हैं जिनमें से महाशिवरात्रि प्रमुख त्यौहार है। यह एक धार्मिक त्यौहार है तथा शिव भक्तों द्वारा संपूर्ण श्रद्धा से मनाया जाता है। यहां की गलियों में तथा सड़कों पर शिव - पार्वती विवाह की झांकियां भी देखने को मिलती हैं। लोग दूर-दूर से शिव मंदिर पर उपस्थित होते हैं तथा भगवान शिव के दर्शन प्राप्त करते हैं।

सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri)

सावन के महीने में पड़ने वाली शिवरात्रि को सावन शिवरात्रि (Savan Shivratri) या श्रावण शिवरात्रि (Sharavan Shivratri) के नाम से जाना जाता है। वैसे तो साल में 12 मासिक शिवरात्रि आती हैं लेकिन इनमें से 2 शिवरात्रि तिथियों का विशेष महत्व है। पहली फाल्गुन मास में पड़ने वाली शिवरात्रि है जिसे महाशिवरात्रि कहते हैं और दूसरी भगवान शिव के पवित्र माह सावन मास में पड़ने वाली सावन शिवरात्रि।

यह माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव (Bhagwan Shiv) ने दुनिया को बचाने के लिए समुद्र मंथन में से निकला जहर पी लिया था,जिसके कारण उनकी गर्दन नीली हो गई थी।

एक लोकप्रिय किंवदंती के अनुसार,इस दिन भगवान शिव ने देवी पार्वती (Devi Parvati) को शक्ति का अवतार दिया था, क्योंकि वह उनकी भक्ति से प्रभावित थे। और इसके लिए, देवी ने उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए अमावस्या की रातों में उपवास रखा।

सावन का महीना (Sawan ka Mahina) भगवान शिव को समर्पित होता है और इस महीने में शिव पूजन विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। पूरे सावन में कई तरह के व्रत एवं त्योहार होते हैं जिनमें से सावन शिवरात्रि का अलग महत्व है। मान्यतानुसार सावन शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ की विधिवत पूजा करने हुए शिवलिंग (Shivling) पर जल चढ़ाने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

पौराणिक कथाएं (Mythology)

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब समुद्र मंथन हुआ था तब सभी देवता एवं दानव अमृत की खोज में समुंद्र मंथन (Samudra Manthan) कर रहे थे। जब समुंद्र मंथन आरंभ किया गया तब नवरत्नों में अमृत के पूर्व हलाहल विष उत्पन्न होने लगा। यह देख सभी देवताओं एवं दानवों में हाहाकार मच गया, अब सृष्टि की रक्षा का कोई मार्ग नहीं था। तब भगवान शिव ने हलाहल विष को अपने कंठ में धारण कर लिया जिससे उनका कण्ठ नीला पड़ गया और भगवान शिव का नाम नीलकंठ (Neelkanth) पड़ा। इस विष के प्रभाव को रोकने के लिए देवताओं ने भगवान शिव को रात्रि जागरण की सलाह दी।

भगवान शिव रात्रि में जागरण करते रहे तथा देवताओं द्वारा उनकी भक्ति में गीत, संगीत, नृत्य इत्यादि प्रस्तुत हो रहे थे। इस प्रकार भगवान शिव ने अपने गले में विष को धारण कर पूरे सृष्टि की रक्षा की। इसी घटना के बाद से प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाने लगा। महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव का जलाभिषेक (Bhagwan Shiv ka Jalabhishek) होता है, तत्पश्चात उनका दुग्धाभिषेक होता है। मंदिरों पर शिव भक्त सूर्योदय के समय पवित्र जल में स्नान करते हैं तथा पारंपरिक ढंग से शिवलिंग की पूजा करते हैं । 

भारत में शिवरात्रि (Shivratri In India)

भारत के कुछ प्रमुख शिव मंदिरों पर महाशिवरात्रि के दिन मेले का आयोजन किया जाता है। शिव मंदिरों में सबसे प्रसिद्ध मंदिर महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Mandir) जो उज्जैन में स्थापित है। यहां महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्तों का बहुत बड़ा मेला लगता है। दूर-दूर से भक्त मेले में उपस्थित होते हैं तथा भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं। शिवरात्रि का त्यौहार भारत के लगभग हर हिस्से में मनाया जाता है। कश्मीर में हर घर में शिवरात्रि के पर्व को शिव पार्वती के विवाह के उत्सव में तीन-चार दिन पहले से महाशिवरात्रि के आयोजन की तैयारी आरंभ कर देता है। कश्मीर के लोगों द्वारा महाशिवरात्रि के दिन 2 दिन बाद तक महाशिवरात्रि का पर्व पूरे धूमधाम से मनाया जाता है।

शिवरात्रि तिथि 2025 (Shivratri 2025)

2025 में महाशिवरात्रि 26 फरवरी को मनाई जाएगी। यह पर्व भगवान शिव की आराधना का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। भक्त शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र चढ़ाते हैं और पूरी रात जागरण कर भगवान शिव की पूजा करते हैं। यह दिन आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए खास माना जाता है। 

प्रदोष काल में शिव पूजा 

शिव पुराण (Shiv Purana) के अनुसार शिवजी (Shivji) की पूजा का उत्तम समय प्रदोष काल माना गया है। कहा जाता है शिवजी की आराधना यदि प्रदोष काल में हो तो इसके सुखद परिणाम जल्दी ही प्राप्त होते हैं, इसलिए महाशिवरात्रि का त्योहार प्रदोष काल में मनाया जाता है, तथा प्रदोष काल में ही भगवान शिव के लिए उपवास रखना उचित होता है।

महाशिवरात्रि की व्रत एवं पूजा की विधि

मुख्य रूप से भगवान शिव के भक्त प्रदोष काल में ही शिव की पूजा करते हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किए गए महाशिवरात्रि के उपवास में फलाहार करना चाहिए तथा सफेद नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

भगवान शिव की पूजा रुद्राभिषेक के बिना अधूरी है, अतः महाशिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक अवश्य किया जाना चाहिए। इसमें शिव जी के सामने घी का दीपक जलाकर उनके सम्मुख बैठकर ध्यान करना भी शामिल हैं।

मंत्र एवं श्लोक

महाशिवरात्रि के पर्व में भक्त शिव की उपासना करते समय कुछ महत्वपूर्ण किताबें जैसे शिव पुराण, शिव पंचाक्षर, शिव स्तुति, शिव रुद्राष्टक, शिव चालीसा आदि का भी पाठ  करते हैं।

महाशिवरात्रि से जुड़े प्रश्न और उत्तर  

प्रश्न: महाशिवरात्रि का त्योहार कब है?

उत्तर: 2025 में महाशिवरात्रि 26 फरवरी को मनाई जाएगी।

प्रश्न: महाशिवरात्रि का त्योहार क्या है और इसका महत्व क्या है?

उत्तर: महाशिवरात्रि भगवान शिव के विवाह समारोह के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण है और भगवान शिव की पूजा और भक्ति का अवसर प्रदान करता है।

प्रश्न: महाशिवरात्रि की कथा क्या है?

उत्तर: महाशिवरात्रि की कथा में भगवान शिव ने समुद्र मंथन के समय हलाहल विष का प्रभाव निष्कारण किया था और अपने कंठ में धारण किया था। इस दिन को भगवान शिव की विशेष पूजा करने के लिए उपवास रखा जाता है।

प्रश्न: महाशिवरात्रि कैसे मनाई जाती है?

उत्तर: महाशिवरात्रि के दिन लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं, शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं, मंत्र जपते हैं, शिव के भजन गाते हैं और रुद्राभिषेक करते हैं। इस दिन को उपवास करना और शिव की पूजा करना भी लोगों द्वारा अपनाया जाता है।

प्रश्न: सावन शिवरात्रि क्या होती है?

उत्तर: सावन शिवरात्रि या श्रावण शिवरात्रि सावन मास के किसी दिन मनाई जाती है और इसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से की जाती है।

प्रश्न: महाशिवरात्रि के अवसर पर लोग क्या कार्यक्रम आयोजित करते हैं?

उत्तर: महाशिवरात्रि के दिन लोग अलग-अलग धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं। कुछ लोग शिव मंदिरों में जाते हैं और शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं, अद्भुत भजन गाते हैं और ध्यान में लगते हैं। दूसरे लोग गृह मंदिरों में शिवलिंग की पूजा करते हैं और शिव के ध्यान में रहते हैं। कुछ समुदायों में सार्वजनिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं जहां लोग भजन-कीर्तन का आनंद लेते हैं और भगवान शिव की प्रतिमा को विशेष रूप से सजाते हैं।

प्रश्न: महाशिवरात्रि पर कौन-कौन सी रस्में अनिवार्य होती हैं?

उत्तर: महाशिवरात्रि के दिन लोग उपवास करते हैं और शिव की पूजा करते हैं। रुद्राभिषेक और शिवलिंग पर जल चढ़ाना भी इस त्योहार की महत्वपूर्ण रस्मों में से है। कुछ लोग शिव मंदिरों में भगवान की प्रतिमा को दूध और बिल्वपत्र से सजाते हैं।

प्रश्न: महाशिवरात्रि के दिन लोग कैसे उपवास करते हैं?

उत्तर: महाशिवरात्रि के दिन लोग निर्जला उपवास करते हैं, जिसमें वे पूरे दिन भोजन का त्याग करते हैं। कुछ लोग फल या सागरी का सेवन करते हैं, जो उनके उपवास को संभालने में मदद करता है। इसके अलावा, वे शिव की पूजा के समय मंत्रों का जाप करते हैं और उनके ध्यान में रहते हैं।

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