भारतीय संस्कृति में धार्मिक स्थलों की अनगिनत धरोहर हैं, जिनमें देश और विदेश के श्रद्धालुओं का आकर्षण बना रहता है। इनमें से एक विशेष महत्व वाला स्थान है वैष्णो देवी मंदिर (Vaishno Devi Temple Jammu and Kashmir), जो भारत के जम्मू कश्मीर राज्य में स्थित है। यह मंदिर हिमालय की त्रिकुटा पर्वत श्रेणी के गर्भ में स्थित होने के कारण भक्तों के लिए विशेष माना जाता है। वैष्णो देवी मंदिर मां वैष्णवी (Maa Vaishnavi) को समर्पित है। मां वैष्णवी को सनातन धर्म में देवी दुर्गा के एक स्वरूप के रूप में पूजा जाता है।
वैष्णो देवी मंदिर (Vaishno Devi Temple) के इतिहास और महत्व के संबंध में प्राचीन धार्मिक ग्रंथों और अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि यह तीर्थस्थल लगभग एक लाख वर्ष पुराना हो सकता है। यह तीर्थस्थल पवित्र गुफा के अंदर स्थित है और वैदिक साहित्य में भी इस गुफा का उल्लेख मिलता है।
वैष्णो देवी मंदिर (Vaishno Devi Mandir) का पहला उल्लेख महाकाव्य महाभारत में मिलता है। जब पांडवों और कौरवों की सेनाएं कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में एकजुट थीं, तो श्रीकृष्ण (Lord Krishna) की सलाह पर पांडवों के प्रमुख योद्धा अर्जुन देवी माँ का ध्यान करते हुए उनसे जीत का आशीर्वाद मांगा था। वह देवी माँ को 'जम्बूकाटक चित्यैषु नित्यं सन्निहितलाये' कहकर संबोधित करते हैं, जिसका अर्थ है 'आप जो हमेशा जम्बू में पहाड़ की ढलान पर मंदिर में निवास करती हैं'। इससे यह संभावित है कि उस समय अर्जुन वर्तमान जम्मू का जिक्र कर रहे थे।
प्राचीन समय में शक्ति की पूजा का प्रचलन होना आम था, यह पूजा बड़े पैमाने पर पौराणिक काल में शुरू हुई थी। पांडवों ने सबसे पहले देवी मां के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कोल कंडोली और भवन में मंदिरों का निर्माण कराया था। इसके अलावा भगवान गुरु गोविंद सिंह (Bhagwan Guru Gobind Sing Ji) भी इस तीर्थस्थल तक पैदल मार्ग से यात्रा कर चुके हैं।
यह तीर्थस्थल सभी शक्तिपीठों में सबसे पवित्र माना जाता है, क्योंकि यहां माता सती (Mata Sati) की खोपड़ी गिरी थी, जिससे वरद हस्त (वरदान और आशीर्वाद देने वाला हाथ) के नाम से जाना जाता है। इसे भारतीय धरोहर के रूप में समझा जा सकता है, जिसे धार्मिक उत्साह के साथ सौंदर्य और भक्ति के लिए जाना जाता है।
वैष्णो देवी मंदिर को वैष्णवी देवी (Devi Vaishnavi) के त्रिकुटा पर्वत श्रेणी (Trikuta mountain range) में स्थान पाने की वजह से यह भव्य और आकर्षक संरचना के साथ बना है। मंदिर के लिए पहले यात्रा कई किलोमीटर तक पैदल आवश्यक थी, लेकिन अब विकसित सुविधाओं की वजह से ट्रेन, हेलिकॉप्टर और रोड से भी यहां पहुंचा जा सकता है। मंदिर का मुख्य भवन सुसज्जित है, जिसे मां वैष्णवी (Vaishnavi Maa) के स्वरूप से सम्बोधित किया जाता है।
यह मंदिर समुद्र तल से 1,584.96 मीटर (5,200 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। जो कटरा से लगभग 12 किलोमीटर और जम्मू शहर से लगभग 61 किलोमीटर की दूरी परहै। एक भूवैज्ञानिक अध्ययन ने पवित्र गुफा की आयु को लगभग एक लाख वर्ष का बताया है। जिस स्थान पर वैष्णो देवी मंदिर स्थित है, इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है।
वैष्णो देवी मंदिर के दर्शन का समय प्रतिदिन बदलता रहता है। सामान्यतः इस मंदिर में भजन-कीर्तन और भक्तों की धार्मिक पूजा का समय सुबह से रात को तक रहता है। नवरात्रि (Navratri) के दौरान इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है, भक्तों की संख्या इस समय अधिक होती है।
वैष्णो देवी मंदिर की यात्रा का उचित समय वर्षा ऋतु को छोड़कर बाकी सभी ऋतुओं में होता है। वर्षा ऋतु के दौरान मंदिर के पथ पर भूस्खलन और भारी वर्षा के कारण आपदा का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए इस ऋतु को यात्रा के लिए सुरक्षित नहीं माना जाता। धरती की सुंदरता को देखते हुए सितंबर से मार्च तक के महीनों में यहां की यात्रा का आनंद लिया जा सकता है। धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो नवरात्रि के दौरान मंदिर की यात्रा को ज्यादा महत्व दिया जाता है, क्योंकि इस समय मां वैष्णवी के अवतार का उत्सव मनाया जाता है।
वैष्णो देवी मंदिर भारतीय धरोहर का एक महत्वपूर्ण स्थल है, जो मां वैष्णवी के भक्तों को धार्मिक उत्साह से भर देता है। यहां की यात्रा एक धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव है, जिसमें भक्त अपने मन की शांति और सुख की तलाश करते हैं। मां वैष्णवी के दर्शन से व्यक्ति के जीवन में आनंद, शक्ति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह मंदिर अपनी सुंदरता, भक्ति और धार्मिक अनुष्ठान के लिए विख्यात है और आने वाले समय में भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बना रहेगा।