महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple)

Mahakaleshwar Temple

महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple)

महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) भारत के प्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। भगवान महाकालेश्वर (Bhagwan Mahakaleshwar) अपने भक्तों के उद्धार के लिए स्वयंभू शिवलिंग के रूप में यहां विराजमान है। इसके केवल दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। 

शिव महापुराण (Shiv Mahapurana) के मुताबिक ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर यहां स्वयं प्रकट हुए थे।

शिव भक्तों की नगरी (Shiv Bhakton ki Nagari) होने के कारण उज्जैन नगरी भगवान शिव (Bhagwan Shiv) को बहुत प्रिय थी। लेकिन यहां दूषण नामक राक्षस ब्रह्मा (Bhagwan Brahma) जी से वरदान पाकर ब्राह्मणों को परेशान करता था तब ब्राह्मणों ने भोलेनाथ से प्रार्थना की और शिवा (Shiva) धरती फाड़कर महाकाल (Mahakal) के रूप में प्रकट हुए और उस राक्षस को मार डाला। शिवभक्तों ने उनसे वहीं रुकने का निवेदन किया और भगवान शिव (Lord Shiva) भक्तिभाव से अभिभूत होकर वहीं विराजमान हो गए। 

स्थान (Location of Mahakaleshwar Temple)

मध्यप्रदेश की तीर्थनगरी उज्जैन नगर में शिप्रा नदी के किनारे स्थित, महाकालेश्वर (Mahakaleshwar) महाकाल शिव भगवान (Mahakal Bhagwan Shiv) का प्रमुख मंदिर है। यह देवी सती के 51 शक्तिपीठों में से भी एक है।

महाकालेश्वर की महिमा  (Glory of Mahakaleshwar)

भगवान शिव का यह मंदिर बहुत प्राचीन है जिसका उल्लेख वेदों पुराणों में भी है। शिव पुराण के अनुसार इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में हुई थी।

भस्म आरती (Bhasma Aarti Mahakaleshwar)

शिवपुराण (Shivpurana) के अनुसार भस्म सृष्टि का ही सार है और कहा यह भी जाता है कि एक दिन पूरी सृष्टि इसी राख के रूप में परिवर्तित होनी है। सृष्टि के सार (भस्म) को भगवान शिव सदैव धारण किए रहते हैं। जिसका अर्थ है कि एक दिन यह संपूर्ण सृष्टि शिवजी में विलीन हो जाएगी। 

इस भस्म को तैयार करने के लिए कपिला गाय के गोबर से बने कंडे और शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर के पेड़ों की लकड़ियों को एक साथ जलाया जाता है, इस प्रक्रिया के दौरान उचित मंत्रो का उच्चारण भी किया जाता हैं। इन चीजों को जलाने पर जो भस्म प्राप्त होती है, उसे कपड़े से छान कर यह भस्म महाकालेश्वर को अर्पित की जाती है।

महिलाओं और पुरुषों के लिए आरती के कुछ खास नियम

भस्म आरती को महिलाएं नहीं देख सकती। अगर उन्हें इस आरती में शामिल होना है तो उन्हें घूंघट करना पड़ता है। भस्म आरती से पहले शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है। अगर शिवभक्त जलाभिषेक करना चाहते है तो पुरुषों को सिर्फ धोती पहननी होती है और महिलाओं को सिर्फ साड़ी। इनके अलावा किसी भी अन्य परिधान को पहन कर जलाभिषेक नहीं किया जा सकता।

जूना महाकाल (Juna Mahakal)

महाकाल (Mahakal) के दर्शन के बाद प्रांगण में स्थित जूना महाकाल (Juna Mahakal) के दर्शन जरूर करने चाहिए। 

तीन महाकाल (Teen Mahakal)

उज्जैन में साढ़े तीन काल विराजमान है- महाकाल, कालभैरव, गढ़कालिका और अर्धकाल भैरव। 

12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे खास 

कहते है कि आकाश में तारक शिवलिंग (Tarak Shivling), पाताल में हाटकेश्वर शिवलिंग (Hatkeshwar Shivling) और पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही मान्य शिवलिंग है। महाकालेश्वर मंदिर स्वांभु ज्योतिर्लिंग है। महाकालेश्वर की मूर्ति को दक्षिणा मूर्ति के रूप में जाना जाता है, जो केवल 12 ज्योतिर्लिंगों (12 Jyotirlinga) में से महाकालेश्वर में पाई जाती है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के तीन भाग

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) के 3 खंड है। सबसे निचले खंड में महाकालेश्वर, मध्य खंड में ओंकारेश्वर और ऊपरी खंड में श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर(Shri Nagchandreshwar Mandir) स्थित है।

(नागचन्द्रेश्वर शिवलिंग के दर्शन साल में एक बार नागपंचमी (Nag Panchami) के दिन ही होते है)

गर्भगृह

गर्भगृह में भगवान महाकालेश्वर के विशाल दक्षिणमुखी शिवलिंग के साथ माता पार्वती (Parvati Maa), भगवान गणेश (Bhagwan Ganesha) व कार्तिकेय की प्रतिमाएं भी विराजमान है। यह संपूर्ण ब्रह्मांड में इकलौता दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। इसकी जलाधारी पूर्व की तरफ है, जबकि आमतौर पर शिवलिंगों की जलाधारी उत्तर की तरफ होती है। गर्भगृह का नंदी दीप सदैव प्रज्वलित रहता है। गर्भगृह के सामने नंदी की प्रतिमा भी स्थित है। यहां बैठकर हजारों श्रद्धालु शिव आराधना का पुण्यलाभ उठाते है। 

कोटितीर्थ

मंदिर परिसर में एक विशाल कुंड है, जिसे कोटितीर्थ के नाम से जाना जाता है जिसमें स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते है।

उज्जैन के राजा

उज्जैन का एक ही राजा है - महाकाल बाबा (Mahakal Baba)। विक्रमादित्य के बाद यहां कोई भी राजा रात में नहीं रुक पाया है। 

महाकाल की सवारी 

श्रावण माह महाकाल शिव (Mahakaal Shiv) को अत्यंत प्रिय है। उज्जैन के राजा महाकाल (Mahakaal) बाबा श्रावण माह के हर सोमवार को नगर में भ्रमण करके अपनी प्रजा को देखते है। महाशिवरात्रि के दिन सारा शहर शिव (Shiv) भक्ति में डूब जाता है। चारों तरफ़ शिवा (Shiva) की ही गूंज सुनाई देती है। 

पृथ्वी का नाभिस्थल

महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) के शिखर के ठीक ऊपर कर्क रेखा गुजरती है, इसलिए इसे पृथ्वी का नाभिस्थल भी कहा जाता है।

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान मंगलवार को एक विशाल शिवलिंग और भगवान विष्णु (Vishnu) की मूर्ति मिली है।

सावन के महीने में दूर-दूर से लोग महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) आते है। इस पवित्र महीने के सोमवार को महाकाल (Mahakaal) के दर्शन बेहद शुभ माने गए है। यहां कण-कण में शिव (Shiv) का वास है। यह भक्ति, आस्था और आराधना का वह दर है जहां भक्तों के सभी कष्टों का निवारण होता है और अंत में मोक्ष प्राप्त होता है।

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1 Comments:

  1. Beer Singh Beer Singh says:

    Nice article.

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