धनवंतरी हवन धनवंतरी भगवान (Bhagwan Dhanwantri) की उपासना है। हवन के लिए प्रज्वलित धरती से आकाश तक जाने वाली अग्नि भक्तों की इच्छा, मनोकामना उनके ईष्ट तक पहुंचाती है।
धनवंतरी भगवान भगवान विष्णु के अवतार (Bhagwan Vishnu ke Avtaar) है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इन्होंने धरती पर समुद्र मंथन के समय अवतार लिया था। दिवाली (Diwali) से 2 दिन पहले इनके जन्म को धनतेरस (Dhanteras) के रूप में मनाया जाता है इसलिए धनतेरस का त्यौहार (Dhanteras ka Tyohaar) इन्हीं को समर्पित है। धनवंतरी प्रभु महान चिकित्सक, आयुर्वेद शास्त्र के देवता और देवताओं के वैद्य माने गए है इसलिए इनकी भक्ति से श्रद्धालुओं को निरोगी काया, स्वस्थ शरीर, लंबी आयु और तेज मिलता है।
।। ॐ धन्वंतराये नमः ॥
हिंदू धर्म में अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए कई तरह के हवन (Types of Havan) किए जाते है जिनका अपना अलग महत्व है। इन्हीं में से एक है धनवंतरी हवन, जो मुख्यतः किसी गंभीर बीमारी से निजात पाने के लिए किया जाता है। इस हवन में भगवान धनवंतरी का आह्वान करके अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना की जाती है। यह अनुष्ठान स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के लिए एक सुरक्षा कवच, एक ढाल का काम करता है। धनवंतरी भगवान का (Bhagwan Dhanwantri ka Jawan) हवन व विधिवत पूजन करने से निरोगता और संपूर्ण स्वास्थ्य की कामना पूरी होती है।
धनतेरस के अलावा एकादशी (ग्यारस) का दिन धन्वंतरी हवन के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है।
इस हवन को करने शारीरिक और मानसिक समस्याओं से निजात मिलती है।
धन्वन्तरी हवन स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के लिए एक वरदान है।
धन्वन्तरी हवन आपको एक खुशहाल और शांतिपूर्ण जिंदगी जीने में मदद करता है।
इस हवन के सम्पन्न होने से आपके घर के आस-पास मौजूद नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
इस हवन को करने के बाद अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।
इस हवन को करने से लम्बी आयु और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
धन्वन्तरी हवन को सम्पन्न करवाने से आपके जीवन की सभी समस्याओं का अंत हो जाता है।
कहते हैं ना, पहला सुख निरोगी काया, तो धन्वंतरी हवन करने से आपको अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है, जिससे आपका जीवन खुशहाल होता है।
हवन के लिए सबसे पहले हवन कुंड में अग्नि की स्थापना की जाती है। फिर आम की चौकोर लकड़ी लगाकर, कपूर रखकर प्रज्वलित करके धनवंतरी भगवान का आह्वान किया जाता है। फिर मंत्र उच्चारण के साथ अनेकों आहुतियां दी जाती है। अंत में भगवान धनवंतरी का मंत्रों उच्चारण और आरती करके पूर्णाहुति के साथ हवन संपन्न किया जाता है।
भगवान धनवंतरी की पूजा के लिए उनकी तस्वीर ऐसे स्थापित करें कि आपका मुंह पूजा के दौरान पूर्व की ओर रहे। इसके बाद हाथ में जल लेकर तीन बार आचमन करें और भगवान धनवंतरी का आवाह्न करें। इसके बाद तस्वीर पर रोली, अक्षत, पुष्प, जल, दक्षिणा, वस्त्र, कलावा, धूप और दीप और नैवेद्य चढ़ाएं। भगवान धनवंतरी का मंत्रों उच्चारण करके जाप करे, आरती करे और आखिर में दीपदान करे।
हवन कुंड (Hawan Kund), हवन सामग्री (Hawan Samagri), आम की लकड़ी, रोली, अक्षत, पुष्प, जल, दक्षिणा, वस्त्र, कलावा, धूप, दीप और नैवेद्य, नारियल, मौली।
हवन को ना केवल पौराणिक ग्रंथों में बल्कि आधुनिक युग में भी सर्वश्रेष्ठ माना गया है। आयुर्वेद के सिद्धांत आज भी उतने ही प्रसांगिक है, जितने हजारों साल पहले थे।
भारतीय संस्कृति में यज्ञ हवन (Yagya Havan) और हवन पूजा (Havan Pooja) का विशेष महत्व है। आदिकाल से ऋषि मुनियों द्वारा किए गए हवन हमारे धार्मिक ग्रंथों, रीतियों और पुराणों की विशेष पहचान रहे है।
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