रक्षाबंधन का त्यौहार (Raksha Bandhan ka Tyohar) हिंदी कैलेंडर के अनुसार श्रावण महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। रक्षाबंधन के त्यौहार का भाई बहनों का त्यौहार (Bhai Bahan ka Tyohar) होता है। हमारे भारतवर्ष में रक्षाबंधन का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उन्हें तिलक लगाकर तथा उनकी आरती करके अपने भाई के प्रति स्नेह प्रदर्शित करती हैं। रक्षाबंधन के दिन भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा करने का वचन देता है तथा अपनी बहनों को उपहार भी देता है। कहीं-कहीं ब्राह्मणों, गुरुओं और पिता के सम्मान में भी उन्हें राखी बांध दी जाती है। रक्षाबंधन के त्यौहार बाजारों में कई सारे उपहार बिकने लगते हैं तथा राखी से दुकानें सजा दी जाती है। रक्षाबंधन के त्यौहार के दिन भाई बहन राखी उपहार एवं मिठाइयां देकर एक दूसरे के प्रति प्रेम प्रदर्शित करते हैं।
रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) के त्यौहार के आरंभ को लेकर कोई खास वर्णन नहीं मिलता। वामन पुराण (Vamana Purana) में रचित पौराणिक कथाओं के अनुसार जब दानवीर राजा बलि (Raja Bali) ने जब 100 यज्ञ पूर्ण कर लिए तब उनके मन में देवताओं से स्वर्ग का राज्य छीनने की इच्छा जागृत हुई। अपनी इसी इच्छा पूर्ति के लिए उन्होंने देवताओं से युद्ध की नीति बनाई। दानवेंद्र राजा बलि (Raja Bali) की मनसा को जानकर देवराज इंद्र (Devraj Indra) ने स्वर्ग कि रक्षा के लिए भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) से प्रार्थना की। देवराज इंद्र की प्रार्थना स्वीकार कर भगवान विष्णु वामन अवतार धारण कर राजा बलि से भिक्षा मांगने हेतु उनके पास पहुंचे।
भगवान विष्णु ने दानवेंद्र बलि के साथ छल करके आकाश, पाताल एवं धरती दान में लेकर राजा दानवेंद्र को रसातल में जाने का आदेश दिया। रसातल में रहने के पश्चात दानवेंद्र बलि ने तपस्या करके भगवान को सदैव अपने सामने रहने का वरदान प्राप्त किया। भगवान विष्णु अब दानवेंद्र के साथ सदैव रसातल में रहने पर विवश हो गए। यह सब देख माता लक्ष्मी (Lakshmi Maa) परेशान हूई। माता लक्ष्मी को परेशान देख नारद जी ने उन्हें एक उपाय सुझाया। नारद जी के कहे अनुसार माता लक्ष्मी राजा बलि के पास पहुंच गई और दानवेंद्र राजा बलि को राखी बांधकर उन्हें भाई कहा तथा उपहार स्वरूप अपने पति को अपने साथ ले आई। यह तिथि श्रावण महीने की पूर्णिमा की तिथि थी। कहा जाता है कि इसी घटना के घटित होने से रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाने लगा।
महाभारत कथा में रचित कहानियों के अनुसार जब युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण (Shri Krishna) से सभी दुखों का निराकरण पूछा था, तब श्री कृष्ण ने उन्हें सलाह दी थी कि रेशमी धागे की शक्ति से किसी भी मुसीबत से पार पा सकते हैं। इसके पश्चात द्रोपदी द्वारा श्रीकृष्ण को, कुंती द्वारा अभिमन्यु को रेशमी धागे बांधे जाने के कई उल्लेख मिलते हैं। रक्षाबंधन के त्यौहार का महत्व भाई बहनों द्वारा एक दूसरे की परस्पर रूप से रक्षा करना है। रक्षाबंधन के त्यौहार को भाई बहन का त्यौहार भी कहा जाता है।
वर्ष 2024 में रक्षाबंधन का त्यौहार 19 अगस्त को मनाया जाएगा।
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