मकर संक्रांति का त्योहार भारतवर्ष के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। यह ना सिर्फ भारत में बल्कि नेपाल में भी मनाया जाने वाला धार्मिक पर्व है। भारतीय कैलेंडर के अनुसार 5 महीने में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तब हम मकर संक्रांति का पर्व मनाते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस तिथि जनवरी में लगभग 14 या 15 तारीख को प्रत्येक वर्ष आती है। इसे अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नाम से जाना जाता है।
उत्तर प्रदेश में इसे खिचड़ी या मकर संक्रांति के नाम से जानते हैं, तमिलनाडु में इसे पोंगल (Pongal) के नाम से जानते हैं तथा कर्नाटक केरल और आंध्र प्रदेश में हम मकर संक्रांति को केवल संक्रांति (Sankranti) के नाम से ही जानते हैं। भारत में यह पर्व बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है इस दिन हम पवित्र नदियों में स्नान करते हैं तथा भगवान सूर्य (Bhagwan Surya) की पूजा होती है। हम मकर संक्रांति के दिन हवाओं में गुब्बारे और पतंग में उड़ा कर इस पर्व की खुशियां मनाते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान सूर्य (Bhagwan Surya) को अपने पुत्र शनि (Shani Dev) से मिलने की इच्छा हुई तब वह शनिदेव से मिलने के लिए शनि देव के घर जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं अतः सूर्य देव शनिदेव से मिलने मकर राशि में प्रवेश करते हैं। सूर्य देव का मकर राशि में प्रवेश करने की तिथि को ही हम मकर संक्रांति के नाम से जानते हैं तथा हर वर्ष इसे पर्व के रूप में उत्साह पूर्वक मनाते हैं।
हमारे उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन को दान देने के लिए उचित दिन माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन प्रत्येक वर्ष माघ नामक मेला (Magh Mela) लगता है। मकर संक्रांति के दिन अच्छे कार्यों की शुरुआत करने को शुभ मानते हैं। मकर संक्रांति के पर्व पर हम पवित्र नदियों में स्नान आरंभ करते हैं तथा शिवरात्रि तक यह पवित्र स्नान चलता है।
2025 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है। मकर संक्रांति पर तिल-गुड़, खिचड़ी और पतंगबाजी का विशेष महत्व होता है। इसे भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है, जैसे पोंगल, उत्तरायण और लोहड़ी।
मकर संक्रांति से जुड़े रोचक प्रश्न और उत्तर
प्रश्न: मकर संक्रांति क्या है और यह क्यों मनाई जाती है?
उत्तर: मकर संक्रांति भारत और नेपाल में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहार है। यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के अवसर को मनाने के लिए मनाया जाता है।
प्रश्न: मकर संक्रांति को और क्या नामों से जाना जाता है?
उत्तर: भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उत्तर प्रदेश में इसे खिचड़ी या मकर संक्रांति के नाम से जानते हैं, तमिलनाडु में इसे पोंगल के नाम से जानते हैं, और कर्नाटक, केरल, और आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति के नाम से ही जानते हैं।
प्रश्न: मकर संक्रांति पर क्या रीति-रिवाज होते हैं?
उत्तर: मकर संक्रांति के दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, भगवान सूर्य की पूजा करते हैं, और हवाओं में गुब्बारे और पतंग उड़ाते हैं। इस दिन को दान देने के लिए भी उचित माना जाता है।
प्रश्न: मकर संक्रांति 2025 की तारीख क्या है?
उत्तर: मकर संक्रांति 15 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा।
प्रश्न: मकर संक्रांति का पौराणिक महत्व क्या है?
उत्तर: मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। यह तिथि भगवान सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के अवसर को समर्पित है।
प्रश्न: मकर संक्रांति के दिन विभिन्न राज्यों में कैसे मनाया जाता है?
उत्तर: भारत के विभिन्न राज्यों में मकर संक्रांति को विभिन्न रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। उत्तर भारत में लोग खिचड़ी बनाते हैं और इसे खाते हैं, जबकि दक्षिण भारत में पोंगल के रूप में पर्व मनाया जाता है और लोग अपने गृह-परिवार के साथ खुशियों का त्योहार मनाते हैं।
प्रश्न: मकर संक्रांति के दिन क्या खास खाना बनाया जाता है?
उत्तर: मकर संक्रांति के दिन अन्न और उबले हुए दाल का खिचड़ी बनाई जाती है, जो ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। इसके अलावा, तिल के लड्डू, गजक, और चिक्की भी बनाई जाती हैं और लोगों के बीच बाँटी जाती हैं।
प्रश्न: मकर संक्रांति के पर्व की इतिहासिक महत्व क्या है?
उत्तर: पौराणिक कथाओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए पृथ्वी पर आते हैं। यह तिथि भगवान सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के अवसर को संदर्भित करती है।