गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) आध्यात्मिक गुरू के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है। इस दिन गुरुओं की पूजा (Guru ki Puja) करने की परंपरा है। हिंदू धर्म में गुरु को ब्रह्मा (Lord Brahma), विष्णु (Lord Vishnu) और महेश (Lord Mahesha) के समान माना गया है तो गुरु की पूजा मतलब त्रिदेव की अराधना (Tridev ki Aaradhana) है। गुरू पूर्णिमा ईश्वर स्वरूपी गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करने का विशेष दिन है और गुरु का आशीर्वाद जीवन में सफलता का मूल मंत्र है।
शास्त्रों में गुरु को भगवान के समान दर्जा दिया गया है। इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु का आशीर्वाद लेने का विशेष महत्व है। गुरु पूर्णिमा के दिन जब आप गुरु का आशीर्वाद लेने जाए तो उन्हें उपहार अवश्य दें, यह उनके प्रति अपना आभार व्यक्त करने का एक जरिया है।
इस दिन चारों वेदों के प्रथम व्याख्याता, आदिगुरु वेदव्यास जी (Adiguru Vedvyas) का जन्म हुआ था इसलिए इसे व्यास पूजा (Vyas Puja) भी कहा जाता है।
गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व हिन्दू, बौद्ध और जैन तीनों धर्म के अनुयायियों के द्वारा मनाया जाता है।
गुरु पूर्णिमा का पर्व वर्ष 2025 में गुरुवार, 10 जुलाई को मनाया जाएगा।
पूर्णिमा तिथि का समय:
गुरु पूर्णिमा, जिसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है, महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में मनाई जाती है। महर्षि वेदव्यास ने महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना की थी और उन्हें हिंदू धर्म में 'आदि गुरु' के रूप में सम्मानित किया जाता है। इस दिन शिष्य अपने गुरुओं के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, जो उन्हें ज्ञान और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
गुरु पूर्णिमा के दिन जप-तप और दान का विशेष महत्व होता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन गरीब व जरूरतमंद व्यक्ति को दान करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, धन-धान्य की वृद्धि होती है और घर में सुख-शांति आती है।
किसी भी तरह का ज्ञान देने वाला हर कोई गुरु कहलाता है, गुरु कोई व्यक्ति, कोई महापुरुष या आपके इष्ट देव भी हो सकते है, बस आपको केवल सीखने की और ज्ञान लेने की जरूरत है। जो भी हमें कुछ अच्छा सिखाएं और नेक ज्ञान दे, वह सद्गुरु होता है। जिसकी आज हर किसी को ज़रूरत है।
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Vat Purnima | Sharad Purnima | Kartik Purnima