सूर्य देव (Bhawan Surya) भारतीय पौराणिक कथाओं में प्रमुख देवता हैं, जो जीवन के लिए उजाला और ऊष्मा प्रदान करते हैं। सूर्य देव को सबसे प्रमुख और प्रभावशाली देवता माना जाता है, जिनकी पूजा और उपासना से भक्तों को स्वास्थ्य, धन, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति होती है। ज्योतिषी बताते हैं कि नवग्रहों में सूर्य को राजा (Nav Grahon ka Raja) का पद प्राप्त है।
मार्कंडेय पुराण में बताया गया है कि पहले जगत में प्रकाश नहीं था। चारों तरफ अंधकार था। जब ब्रह्मा जी (Lord Brahma) ने यह स्थिति देखी तो वो प्रकट हुए। उनके मुख से जो सबसे पहला शब्द निकला, उसे ॐ कहा गया। यह शब्द सूर्य के दिव्य तेज का हिस्सा था। ब्रह्मजी के चारों मुख से चार वेद निकले, जो एक हो गए। यह वेद आगे चलकर सूर्य देव (Surya Dev) कहलाये।
जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना कर दी तब ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि (Marichi) हुए। मरीचि के पुत्र महर्षि कश्यप (Maharishi Kashyap) का विवाह प्रजापति दक्ष (Prajapati Daksha) की कन्या दीति और अदिति से हुआ था। अदिति ने सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या करना शुरू कर दी। जब सूर्य देव प्रसन्न हुए तो उन्होंने अदिति को वरदान दिया कि वो अदिति के घर बालक के रूप में जन्म लेंगे।
सूर्य देव ने अदिति के गर्भ में सुषमा नाम की किरण के तौर पर प्रवेश किया। गर्भावस्था के दौरान भी अदिति ने कठोर तपस्या जारी रखी। उन्होंने कठिन उपवासों को बंद नहीं किया। यह सब देखकर ऋषि राज कश्यप बहुत क्रोधित हुए। उन्होंने क्रोध में अदिति से पूँछा कि यह सब करके क्या तुम गर्भ में पल रहे बच्चे को मारना चाहती हो? यह सुनते ही अदिति ने उस बच्चे को अपने पेट से बाहर कर दिया। जब वह बच्चा पेट से बाहर आया तो वह अपने दिव्य तेज से प्रज्वलित हो रहा था। भगवान सूर्य (Bhagwan Surya) ने अदिति के पेट से जन्म लिया था, इसलिए उन्हें आदित्य कहा गया।
सूर्य देव को भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व दिया जाता है। लोग प्रतिदिन सूर्य देव की पूजा (Surya Dev ki Puja) और उपासना करते हैं। उनकी पूजा और उपासना से भक्तों को स्वास्थ्य, धन, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति होती है। सूर्य देव को भारतीय ज्योतिषशास्त्र में भी महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है, जो व्यक्ति के जीवन को बदलने वाले प्रभाव के साथ संबंधित है।
सूर्य देव को प्रतिदिन सूर्योदय के समय उत्तर दिशा में देखते हुए उनकी पूजा की जाती है। उन्हें जल का अर्घ्य दिया जाता है। इसके लिए विशेष उपासना मंत्र और पूजा-अर्चना का अनुसरण किया जाता है। सूर्य देव की पूजा से व्यक्ति को स्वास्थ्य, धन, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति होती है।
सूर्य रथ (Surya Rath) का विवरण प्राचीन हिंदू पौराणिक ग्रंथों, वेदों, पुराणों में मिलता है। इनके अनुसार, सूर्य रथ में सात प्रकार के घोड़े हैं। जिनके नाम गायत्री, वृहति, उष्णिक, जगती, त्रिष्टुप, अनुष्टुप और पंक्ति हैं। इस रथ का विस्तार नौ हजार योजन है। विशेष रूप से वसंत पंचमी और रथ सप्तमी के अवसर पर, लोग सूर्य रथ की पूजा और उपासना करते हैं। यह पर्व सूर्य देव की पूजा, समर्पण, और धन्यवाद का एक अवसर है, जिसमें लोग भगवान (Bhagwan) से अनुग्रह और शक्ति की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
सूर्य देव ब्रह्मांड में उजाले के देवता के रूप में महत्वपूर्ण हैं। उन्हें प्रमुख और प्रभावशाली देवता माना जाता है। सूर्य देव को सृष्टि की उत्पत्ति के लिए भगवान ब्रह्मा ने विशेष रूप से बनाया था। सूर्य देव की पूजा और उपासना से भक्तों को स्वास्थ्य, धन, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति होती है। भारतीय संस्कृति में कहा जाता है कि सूर्य देव की पूजा और उपासना से भक्तों को आत्मिक शक्ति, धैर्य, और उत्तेजना मिलती है। इसलिए लोग भगवान सूर्य की पूजा (Bhagwan Surya ki Puja) करते हैं।
सूर्य देव से जुड़े प्रश्न और उत्तर
प्रश्न: सूर्य देव कौन हैं और उनका महत्व क्या है?
उत्तर: सूर्य देव भारतीय पौराणिक कथाओं में प्रमुख देवता हैं, जो जीवन के लिए उजाला और ऊष्मा प्रदान करते हैं। उन्हें "नव ग्रहों का राजा" माना जाता है।
प्रश्न: सूर्य देव की उत्पत्ति कैसे हुई ?
उत्तर: सूर्य देव की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के मुख से निकले ॐ के शब्द के साथ हुई। उनके उत्पत्ति का वर्णन मार्कंडेय पुराण में मिलता है।
प्रश्न: सूर्य देव की पूजा और उपासना क्यों की जाती है?
उत्तर: सूर्य देव की पूजा और उपासना से भक्तों को स्वास्थ्य, धन, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति होती है। वे भारतीय ज्योतिषशास्त्र में भी महत्वपूर्ण ग्रह माने जाते हैं।
प्रश्न: सूर्य देव का रथ क्या है और इसकी पूजा कैसे की जाती है?
उत्तर: सूर्य देव का रथ नौ हजार योजन का होता है, जिसमें सात प्रकार के घोड़े होते हैं। इसकी पूजा और उपासना विशेष रूप से वसंत पंचमी और रथ सप्तमी पर की जाती है।
प्रश्न: सूर्य देव की पूजा से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर: सूर्य देव को भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व दिया जाता है, और उनकी पूजा और उपासना से भक्तों को स्वास्थ्य, धन, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति होती ह
पूरब पश्चिम विशेष
The Avatar of Kalki | नवदुर्गा (Navadurga) | Origin of Maa Sita