Wednesday, March 12

हरियाली तीज (Hariyali Teej)

Hariyali Teej

हरियाली तीज (Hariyali Teej)

उत्तर भारतीय राज्यों, विशेष रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड में महिलाओं द्वारा तीज उत्सव (Teej Utsav) बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।  हरियाली तीज एक विशेष तीज है क्योंकि यह श्रावण मास के दौरान आती है। सावन के आते ही बरखा की रिमझिम फुहारों से धुलकर सारी धरती हरी चुनर ओढ़ लेती है। चारों ओर हरियाली छा जाती है। पेड़ों की शाखाओं पर झूले डल जाते है। श्रावण मास वर्षा ऋतु या मानसून की अवधि के साथ मेल खाता है और इस तीज का समय महिलाओं के लिए इसे और खास बनाता है।

हरियाली तीज का त्यौहार महिलाओं का त्यौहार (Mahilaon ka Tyohar) है। हिंदू महिलाएं इसे विशेष रूप से मनाती है। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करके तैयार होती है, हाथों में मेहंदी रचाती है, बागों में सावन का झूला झूलती है और व्रत रखती है।

हरियाली तीज कब मनाई जाती है (Hariyali Teej 2025)

हरियाली तीज का पर्व वर्ष 2025 में रविवार, 27 जुलाई को मनाया जाएगा।

तृतीया तिथि का समय:

  • प्रारंभ: 26 जुलाई 2025 को रात 10:41 बजे
  • समाप्त: 27 जुलाई 2025 को रात 10:41 बजे

हरियाली तीज, जिसे सिंधारा तीज भी कहा जाता है, भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं हरे वस्त्र धारण करती हैं, मेहंदी लगाती हैं, झूले झूलती हैं, और माता पार्वती की पूजा करके अपने वैवाहिक जीवन की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। साथ ही, 'सिंधारा' के रूप में मायके से मिठाइयाँ, मेहंदी, चूड़ियाँ आदि उपहार स्वरूप प्राप्त करती हैं।

हरियाली तीज व्रत का महत्व (Significance of Haryali Teej)

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया का दिन भगवान भोलेनाथ (Bhagwan Bholenath) और माता पार्वती (Mata Parvati) के मिलन का दिन है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन शिव जी ने माता पार्वती की कठोर तपस्या से खुश होकर उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया था। इसलिए इस दिन मनचाहा वर पाने के लिए महिलाएं व्रत रखती है। इस दिन महिलाएं वैवाहिक सुख और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए देवी पार्वती की पूजा (Devi Parvati ki Puja)  करती हैं। कुँवारी लड़कियां योग्य वर पाने के लिये तीज का व्रत (Teej ka Vrat) रखती है और शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए तीज का व्रत रखती है।

सिंधारा (Sindhara)

हरियाली तीज पर विवाहित पुत्री के माता-पिता द्वारा बेटी और उसके ससुराल वालों के घर सिंधारा भिजवाया जाता है। जिन लड़कियों की तीज तक केवल सगाई हुई होती है उनकी ससुराल से सिंधारा आता है। सिंधारे में कपड़े, गहने, घर की बनी मिठाइयाँ, घेवर (घेवर), मेंहदी, चूड़ियाँ आदि शामिल होते है। इस तीज के दौरान बेटी और उसके ससुराल वालों को सिंधारा उपहार में देने की प्रथा के कारण, हरियाली तीज को सिंधरा तीज के नाम से भी जाना जाता है।

हरियाली तीज के पकवान

हरियाली तीज (Hariyali Teej) पर अनेकों पकवान बनाए जाते है जिसमें भगवान शिव को प्रिय खीर और मालपुऐं प्रमुख है। इसके अलावा मिठाई में घेवर और फिनी भी विशेष रूप से बनाई जाती है। घर पर महिलाएं गुलगुले, शक्करपारे, सेवियाँ, मण्डे और सुहाली आदि बनाती है।

हरियाली तीज को छोटी तीज और श्रवण तीज (Sharavan Teej) के नाम से भी जाना जाता है। हरियाली तीज के पंद्रह दिन बाद आने वाली कजरी तीज को बड़ी तीज के नाम से जाना जाता है।

सावन का महीना,
शिव-पार्वतीजी झूले झूला,
सुहागनों की हरियाली तीज आई,
चारों तरफ बहार छाई,
हाथों में मेंहदी रचाई,
हरी चूड़ियों से कलाई सजाई,
सखी, सहेलियों ने सज धज कर,
नाच गाकर धूम मचाई।।

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